03-Jul-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। जिस फंगस को अब तक घातक ज़हर के लिए कुख्यात माना जाता था, वही भविष्य में कैंसर का इलाज करने में मददगार साबित हो सकता है। यह खुलासा हुआ है तोजा शोध में। ये जहरीला फंगस एस्परगिलस फ्लेवस नाम से जाना जाता है, जो फसलों में पाया जाता है और अफ्लाटॉक्सिन नाम का जहरीला यौगिक बनाता है। अफ्लाटॉक्सिन मनुष्यों के लीवर और अन्य अंगों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इसके भीतर कुछ ऐसे बायोएक्टिव कंपाउंड्स खोज निकाले हैं जो कैंसर की कोशिकाओं को निशाना बनाकर उन्हें खत्म करने की क्षमता रखते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक इस फंगस के विशिष्ट यौगिक खास तौर पर ब्रेन कैंसर और लिवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में असरदार हो सकते हैं। रिसर्च टीम ने जेनेटिक तकनीक की मदद से फंगस के जहरीले तत्वों को संशोधित किया और उनमें से ऐसे अणु तैयार किए जो कैंसर सेल्स के डीएनए को नुकसान पहुंचाकर उनकी वृद्धि रोकते या उन्हें नष्ट कर देते हैं। इस खोज का सबसे अहम पहलू यह है कि जहरीले और खतरनाक फंगस को वैज्ञानिकों ने सुरक्षित, नियंत्रित वातावरण में इस तरह बदला कि उससे दवा जैसे तत्व निकाले जा सकें। हालांकि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि एस्परगिलस फ्लेवस अभी भी बेहद खतरनाक फंगस है और इसे किसी भी हालत में घर या अनियंत्रित जगह पर छूना या इस्तेमाल करना जानलेवा हो सकता है। इस खोज ने मेडिकल साइंस में नई उम्मीदें जगा दी हैं। एक समय जिसे मौत का श्राप माना जाता था, वही अब कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज की कुंजी बन सकता है। अगर भविष्य में इन यौगिकों पर आधारित क्लीनिकल स्टडीज़ सफल रहती हैं, तो यह फंगस कैंसर की नई दवाओं का स्रोत बन सकता है। इस शोध ने यह भी दिखा दिया है कि प्रकृति में मौजूद कई जहरीले पौधे और फफूंद भी सही तकनीक और रिसर्च से इंसान के लिए वरदान बन सकते हैं। सुदामा/ईएमएस 03 जुलाई 2025