नई दिल्ली,(ईएमएस)। अगर कोई करदाता अपनी आय छिपाता है, आय के स्रोत नहीं बताता या गलत तरीके से टैक्स छूट का दावा करता है, तब उस करदाता को भारी जुर्माना या कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। चाहे यह गलती अनजाने में हो या जानबूझकर हुई हो, आयकर विभाग के पास गड़बड़ियों का पता लगाने के लिए मजबूत सिस्टम और सख्त दंड लगाने या मुकदमा चलाने का कानूनी प्रावधान मौजूद है। इस बारे में चार्टर्ड अकाउंटेंट बताते हैं कि कानून क्या कहता है और करदाताओं को किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सीए के अनुसार, आयकर अधिनियम के अलग-अलग प्रावधानों के तहत जुर्माना इसपर निर्भर करता है कि गड़बड़ी किस प्रकार की है। यदि करदाता ने अपनी आय कम दिखाई है, तब कारदातों को उस अतिरिक्त आय पर देय टैक्स का 50 प्रतिशत जुर्माने के रूप में देना पड़ सकता है। यदि कोई करदाता जानबूझकर गलत जानकारी देता है, जैसे फर्जी बिल या झूठे दावे करता है, तब उस आय पर देय टैक्स का 200 प्रतिशत जुर्माना लगाया जा सकता है। आय छिपाने के मामले में यह प्रावधान पुराने असेसमेंट वर्षों (वित्त वर्ष 2016-17 से पहले) के लिए लागू होता है। इसमें बचाए गए टैक्स का 100 प्रतिशत से लेकर 300 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि कोई निवेश स्पष्ट रूप से घोषित नहीं किया गया है, तब उस पर 60 प्रतिशत टैक्स, सर्चार्ज और सेस के साथ-साथ 10 प्रतिशत अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाता है। इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर टैक्स चोरी करता है, तब उस पर मुकदमा चल सकता है। इसमें तीन महीने से लेकर सात साल तक की सजा हो सकती है, खासकर तब जब चोरी की गई टैक्स राशि 25 लाख से अधिक हो। इसके अलावा धारा 234ए, 234बीऔर 234सी के तहत भी ब्याज जुर्माना लगता है, जो कि टैक्स रिटर्न देर से भरने, टैक्स की कम अदायगी या अग्रिम कर समय पर नहीं देने के मामलों में लागू होता है। आशीष दुबे / 03 जुलाई 2025