* खोले गए दर्री बांध के दो गेट * 10 फीट तक उठाया गया 7 नंबर गेट कोरबा (ईएमएस) कोरबा जिले से होकर गुजरी हसदेव की प्रमुख सहायक नदी तान का पानी बारिश के कारण अचानक बढ़ गया। जिससे दर्री बांध के दो गेटखोले गए। धीरे-धीरे बढ़ाकर गेट नंबर 7 को शाम 4 बजे तक 10 फीट तक उठाया गया, जबकि दूसरा गेट नंबर 12 को 4 फीट पर रखा गया। इससे शाम को हसदेव नदी और सर्वेश्वर एनीकेट भी उफान पर नजर आए। कोरबा जिले में शुरू हुई बारिश की झड़ी का असर नदियों में दिखने लगा है। बरसात के परिणाम स्वरूप तान नदी का पानी बढ़ गया। इसके चलते गुरुवार को दर्री बांध के गेट खोलने पड़े। पहले सुबह के वक्त एक गेट खोल कर बांध के बढ़ते जलस्तर को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया। इसके बाद भी जब स्थिति नियंत्रण से बाहर होती दिखी तो फिर दूसरा गेट भी खोलना पड़ा। कोरबा जिले के पश्चिम क्षेत्र में हुई बारिश की वजह से हसदेव की सहायक नदी तान नदी के पानी का स्तर बढ़ गया है। जिससे हसदेव नदी में भी अचानक पानी बढ़ गया। दर्री बांध में जल स्तर निर्धारित क्षमता को पार करने लगा था। गेट खोलने से सर्वेश्वर एनीकट का पानी भी लबालब होकर अब ओवरफ्लो हो रहा है। ऊपरी क्षेत्रों में लगातार वर्षा के चलते तान नदी का पानी हसदेव में मिलने से प्रवाह बढ़ गया है। जल संसाधन विभाग के कंट्रोल रूम के अनुसार दरीं बांध में संयंत्रों के लिए दाहिनी और बायी तट नहर से पहले ही पानी छोड़ा जा रहा था। बरसाती पानी का भराव बांध में क्षमता से अधिक होने पर सुबह 10.15 बजे 7 नंबर गेट को दो फीट खोल दिया गया। इसके बाद इस बारिश के मौषम में पहली बार 7 नंबर गेट को ही सुबह 11 बजे 6 फीट तक उठाना पड़ा। इसके बाद भी बढ़ता जल स्तर देख दोपहर 12.45 बजे गेट को 19 फीट खोलना पड़ा। इसके बाद स्थिति पुनः नियंत्रण से बाहर निकलते देख कर्मियों ने दोपहर 1.30 बजे 12 नंबर गेट को भी 6 फीट तक खोल दिया। इसके दोपहर 2.30 बजे 12 नंबर गेट को 8 फीट किया गया। जल स्तर घटने पर शाम 4 बजे 12 नंबर गेट को चार फीट कर दिया गया। उसके बाद से शाम 6 बजे तक की स्थिति में 12 नंबर गेट 4 फीट और 7 नंबर गेट फीट खुला रखा गया था। दर्री बराज के गेट खुला करने से हसदेव नदी में अथाह जल राशि प्रवाहित होने का नजारा देखने लोग नदी किनारे पहुंच रहे थे। यहां बताना होगा कि बस्ती में जल भराव क्षेत्र का लगातार विस्तार हो रहा है। बस्ती में पानी का भराव होने पर ही प्रशासन ठहरने के लिए जगह चिन्हित करता है। पहले से वैकल्पिक व्यवस्था नहीं किए जाने से लोगों को परेशानी से जूझना पड़ता है। बारिश के दौरान जिन गांवों में बाढ़ की संभावना बनी हुई है उनमें बांगो, लेपरा, नुनिया, कछार, कोनकोना, पोड़ी उपरोड़ा, चर्रा, पाराघाट, छिनमेर, सिरकी कला, कोड़ा, पाथा, सिलीयारीपारा, तिलसाभाटा, हथमार, छिर्यापारा, डग्गुपारा, करमीपारा, जूनापारा, लोरीडांड, टुंगमुड़ा, तिलाईडाड, नवागांव, झोरा, कोड़ियाघाट, पोंड़ीखोहा, डोंगाघाट, धनगांव, लोतलोता, नर्मदा, औराकछार, झााबू, सोनगुड़ा, नवागांव, स्याहीमुड़ा, जेलगांव, चारपारा, खैरभवना, बलरामपुर, भलपहरी, जोगीपाली, कोहड़िया, राताखार, गेवराघाट, इमलीडुग्गु, कुदुरमाल, बरीडीह, मोहरा, देवरी, चिचोली, कटबितला, झीका, ढिठोली आदि शामिल हैं। 03 जुलाई / मित्तल