अंतर्राष्ट्रीय
04-Jul-2025
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लंदन (ईएमएस)। मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन के सामने घंटों तक झुककर बैठने की आदत के लोग तेजी से अपर क्रॉस सिंड्रोम की समस्या से जूझने को मजबूर है। यह समस्या गर्दन, कंधों और ऊपरी पीठ की मांसपेशियों में असंतुलन पैदा करती है। यह स्थिति बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को प्रभावित कर रही है। समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह लगातार दर्द, अकड़न और गर्दन-कंधे की गतिशीलता में कमी जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। इस स्थिति में कुछ मांसपेशियां बहुत ज्यादा टाइट हो जाती हैं, जैसे अपर ट्रेपेजियस, लेवेटर स्कैपुला और पेक्टोरलिस मेजर व माइनर, जबकि कुछ मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं, जैसे डीप नेक फ्लेक्सर्स, लोअर ट्रेपेजियस और सेरेटस एंटीरियर। जब शरीर को साइड से देखा जाता है, तो यह असंतुलन एक क्रॉस जैसी आकृति बनाता है, इसलिए इसे अपर क्रॉस सिंड्रोम कहा जाता है। इसकी वजह से आगे की ओर झुकी हुई गर्दन, गोल कंधे और ऊपरी पीठ पर अनावश्यक भार जैसी खराब मुद्राएं विकसित हो जाती हैं। इसके प्रमुख कारणों में लगातार झुककर बैठना, निष्क्रिय जीवनशैली, बार-बार सिर झुकाकर मोबाइल देखना, बाहों को लंबे समय तक ऊपर उठाकर काम करना और नियमित व्यायाम की कमी शामिल हैं। ये कारण धीरे-धीरे शरीर के पोस्चर को बिगाड़ते हैं और मांसपेशियों के बीच संतुलन खत्म कर देते हैं। अपर क्रॉस सिंड्रोम के लक्षणों में गर्दन और कंधों में लगातार दर्द, सिरदर्द, गर्दन की गति में कमी, मांसपेशियों में थकान और हाथों में झुनझुनी या सुन्नपन होना शामिल है। इससे प्रभावित व्यक्ति को काम करने में परेशानी, आराम में भी दर्द और क्वालिटी ऑफ लाइफ में गिरावट जैसी समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही, कंप्यूटर स्क्रीन को आंखों के समकक्ष रखना और मोबाइल का इस्तेमाल करते समय गर्दन को ज्यादा झुकने से बचाना चाहिए। नियमित रूप से गर्दन और कंधे की स्ट्रेचिंग और स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज करने से भी इस स्थिति को काफी हद तक रोका और सुधारा जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बचने के लिए सबसे जरूरी है बैठने की मुद्रा को सही रखना और हर 30 से 60 मिनट पर ब्रेक लेना। इस दौरान खड़े होकर हल्की स्ट्रेचिंग या चलना बेहद फायदेमंद होता है। सुदामा/ईएमएस 04 जुलाई 2025