नई दिल्ली (ईएमएस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि आने वाले दशकों में डायबिटीज बीमारी महामारी का रूप ले सकती है। विशेषकर टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या में भारी इज़ाफा हो रहा है। वैज्ञानिकों के लिए इस बीमारी के पीछे के कारण लंबे समय सेएक रहस्य बने हुए हैं। अब आईआईटी बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण खोज की है, जो टाइप-2 डायबिटीज की जड़ तक पहुंचने में मदद कर सकती है। आईआईटी बॉम्बे के बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर शमिक सेन के नेतृत्व में हुई इस रिसर्च में यह सामने आया है कि शरीर में मौजूद एक अहम प्रोटीन कोलेजन-1 टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। कोलेजन शरीर का एक संरचनात्मक प्रोटीन होता है जो हमारे अंगों और टिशूज को मजबूती देता है। रिसर्च के अनुसार, यही कोलेजन पैंक्रियास में मौजूद एक हार्मोन ऐमिलिन को तेजी से जमा करने में सहायक बनता है। जब यह हार्मोन अधिक मात्रा में जमा हो जाता है तो वह गुच्छों का रूप ले लेता है जिन्हें वैज्ञानिक भाषा में एमेलॉयड एग्रीगेट्स कहा जाता है। इन गुच्छों की मौजूदगी पैंक्रियास की बीटा कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है, जिससे इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है। इंसुलिन की मात्रा घटने पर शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है और व्यक्ति टाइप-2 डायबिटीज की चपेट में आ जाता है। रिसर्च में यह भी पाया गया कि फाइब्रिलर कोलेजन-1 इन ऐमिलिन गुच्छों के बनने की प्रक्रिया को और तेज करता है। इस खोज के जरिए वैज्ञानिक अब यह बेहतर तरीके से समझ पा रहे हैं कि टाइप-2 डायबिटीज केवल ब्लड शुगर या लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी नहीं है, बल्कि इसमें शरीर के संरचनात्मक प्रोटीन की भी अहम भूमिका हो सकती है। सुदामा/ईएमएस 04 जुलाई 2025