नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत के पहले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) तक पहुंचने वाले एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने उत्तर प्रदेश और केरल के स्कूली छात्रों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद किया। इस खास बातचीत में शुभांशु ने अंतरिक्ष में जीवन, दिनचर्या और चुनौतियों से जुड़े सवालों के जवाब बेहद सहज अंदाज में दिए। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु 26 जून को एक्सियम मिशन-4 के तहत आईएसएस पहुंचे हैं। वे 41 वर्षों बाद स्पेस में जाने वाले पहले भारतीय हैं और 10 जुलाई को पृथ्वी पर लौटेंगे। इस संवाद कार्यक्रम में लखनऊ, रायबरेली, हरदोई और सीतापुर समेत चार जिलों के 150 छात्र शामिल हुए। छात्रों के सवालों के जवाब देते हुए शुभांशु ने बताया, स्पेस में नींद के दौरान खुद को बांधना पड़ता है ताकि जीरो ग्रैविटी में बहकर कहीं और न चले जाएं। वहां दीवार, फर्श या छत जैसा कुछ नहीं होता। कोई दीवार पर सोता है, कोई छत पर। उन्होंने कहा कि माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों को बनाए रखने के लिए रोज एक्सरसाइज और योग करते हैं। सुभांशु ने छात्रों को स्पेस लाइफ की जानकारी देते हुए कहा, कि वहां एक खास साइकल होती है जिसमें सीट नहीं होती, सिर्फ पैडल से खुद को बांधकर एक्सरसाइज करनी होती है। शुभांशु ने बताया कि वे मानसिक मजबूती के लिए तकनीक की मदद से परिवार और दोस्तों से जुड़े रहते हैं। वापसी पर शरीर को फिर से पृथ्वी की ग्रैविटी के अनुसार ढालना बड़ी चुनौती होती है। खाने के लिए ले गए हैं गाजर का हलवा खाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे अपने साथ गाजर का हलवा, मूंग दाल हलवा और आम रस लेकर गए हैं। उन्होंने कहा कि हम पैकेज्ड मील खाते हैं या वही जो मिशन से पहले खाया हो। इन तमाम तरह की जानकारियों के बाद छात्रों ने कहा कि सुभांशु शुक्ला सर से बातचीत कर हमें भविष्य की नई संभावनाओं की झलक मिली है। छात्रों ने इस अनुभव को प्रेरणादायक बताया है। इस कार्यक्रम से पहले इसरो के वैज्ञानिकों ने छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान की जानकारी दी और स्पेस में करियर की संभावनाएं बताईं। गगनयान मिशन के चयनित अंतरिक्ष यात्री अंगद प्रताप सिंह से भी छात्रों की बातचीत कराई गई। हिदायत/ईएमएस 04जुलाई25