तेहरान(ईएमएस)। ईरान और इजरायल के बीच 12 दिन के युद्ध में ईरान के हाथ इजरायल का एक बड़ा खजाना लग गया है। ईरान को इजरायल के सबसे उन्नत जासूसी ड्रोन में से एक ‘ऑर्बिटर-5’ पूरी तरह सुरक्षित हालत में मिला है। ये ड्रोन वेस्टर्न टेक्नोलॉजी से लैस था, लेकिन ईरानी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम ने इसे जमीन पर ला पटका। अब इसे खोल-खोलकर ईरानी वैज्ञानिक इसकी तकनीक को समझ रहे हैं और एक-एक पुर्जे की नकल तैयार कर रहे हैं, जो इजरायल के लिए किसी टेंशन से कम नहीं है। ईरान ने इसे खोलने का वीडियो शेयर किया है। दोनों देशों के बीच 12 दिन के युद्ध बड़े पैमाने पर एडवांस्ड हथियारों का इस्तेमाल किया गया। ईरान और इजरायल दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ ड्रोन और मिसाइल दागे थे। रिपोर्ट में कहा गया कि इजरायल के सैकड़ों महंगे ड्रोन भी ईरान के हाथ लग गए हैं। दरअसल इजरायल ने ईरान के अंदर से भी ड्रोन हमलों को अंजाम दिया था। इजरायली रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि बहुत सारे ड्रोन को इजरायल ने छोड़ दिया था, जो अब ईरान को मिल गए हैं। अब इजरायल के लिए सबसे बड़ा खतरा इन ड्रोन्स की रिवर्स इंजीनियरिंग है। रिवर्स इंजीनियरिंग का मतलब है किसी मशीन या टेक्नोलॉजी को खोलकर समझना और फिर उसी जैसी या उससे बेहतर चीज बनाना और इसके लिए न तो किसी लाइसेंस की जरूरत होती है, न ही कानूनी रोक। ड्रोन को खोलकर उसके रडार, कैमरा सिस्टम, प्रोसेसर, मोटर और चिप्स की डिजाइनिंग समझी जा रही है। फिर कंप्यूटर सॉफ्टवेयर से उसकी डिजिटल मॉडलिंग होती है, जिसमें स्ट्रक्चर, क्षमता और उड़ान तकनीक का विश्लेषण किया जाता है। इसके बाद ईरान न सिर्फ उस ड्रोन की हूबहू नकल तैयार कर सकता है, बल्कि उससे ज्यादा घातक और आधुनिक ड्रोन भी बना सकता है। इतना ही नहीं इनके जरिए ड्रोन की कमजोरी को भी समझा जा सकता है। इससे भविष्य में होने वाले हमले को ईरान नाकाम कर सकता है। इजरायल का ऑर्बिटर 5, एक एडवांस्ड ड्रोन है, जो 25 घंटे से ज्यादा की उड़ान भर सकता है। 25 किलोग्राम पेलोड, और 75 किलोग्राम अधिकतम टेक-ऑफ वजन के साथ ड्रोनों जैसी क्षमताएं प्रदान करता है। यह खुफिया जानकारी, निगरानी और टोही मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें दोहरी एवियोनिक्स, कम शोर, और बहु-उपकरण क्षमता जैसे समुद्री रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल ने ‘हर्मीस’ जैसे मीडियम रेंज ड्रोन तैनात किए थे, जो निगरानी और इंटेलिजेंस के लिए जाने जाते हैं। साथ ही, छोटे आकार के एफपीवी क्वाडकॉप्टर ड्रोन भी थे, जिनमें विस्फोटक लोड था और जो कुछ ही सेकंड में बड़ा नुकसान कर सकते हैं। ऐसे ड्रोन रूस-यूक्रेन युद्ध में भी खूब इस्तेमाल हो रहे हैं। अगर ईरान इन इजरायली ड्रोन की सटीक कॉपी बनाने में सफल हो जाता है, तो यह न सिर्फ इजरायल की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा होगा, बल्कि ईरान को सैन्य रणनीति में जबरदस्त बढ़त मिल जाएगी। वीरेंद्र/ईएमएस/05जुलाई2025