नई दिल्ली(ईएमएस)। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चुनने को लेकर चीन और भारत आमने सामने हैं। इधर भारत ने दलाई लामा को भारत रत्न देने की तैयारी शुरु की तो उधर चीन ने खुद ही दावा करते हुए कह दिया कि वो उत्तराधिकारी चुनेगा। भारत रत्न देने का अभियान जोर पकड़ रहा है। खबर है कि कई सांसदों ने इस पर सहमति जताई है और मांग को जल्द ही राष्ट्रपति को सौंपा जा सकता है। खास बात है कि यह ऐसे समय पर हो रहा है, जब चीन लगातार खास रस्म के जरिए दलाई लामा के उत्तराधिकारी चुने जाने को लेकर प्रतिक्रिया दे रहा है। तिब्बत मामले में भारत के सर्वदलीय मंच में शामिल सांसदों ने दलाई लामा को भारत रत्न दिलाने की कवायद की है। रिपोर्ट के अनुसार, दावा किया जा रहा है कि इसके तहत 80 सांसदों के हस्ताक्षर भी हासिल कर लिए गए हैं। वहीं, फोरम के संयोजक भृतहरि महताब कई मौकों पर निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर चुके हैं। फोरम के पूर्व संयोजक और राज्यसभा सांसद सुजित कुमार ने कहा कि समूह दलाई लामा के लिए भारत रत्न की मांग कर रहा है। उन्होंने जानकारी दी, इसकी मांग कर रहे मेमोरेंडम पर 80 से ज्यादा सांसदों से हस्ताक्षर मिल गए हैं और जैसे ही 100 सांसदों के दस्तखत मिल जाएंगे, तो इसे जमा कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने में चीन की कोई भूमिका नहीं है। साथ ही फोरम ने संसद समेत कई मंचों पर तिब्बत से जुड़े मुद्दे उठाने का फैसला किया है। खास बात है कि इस फोरम के 6 सांसद दिसंबर 2021 में हुई निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में शामिल हुए थे। खबर है कि तब चीनी दूतावास ने सांसदों को पत्र लिखा था, जिसमें तिब्बती ताकतों को समर्थन देने से बचने की बात कही गई थी। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने रीजीजू की टिप्पणियों को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए यहां प्रेस वार्ता में कहा कि भारत को 14वें दलाई लामा की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति के प्रति स्पष्ट होना चाहिए और शिजांग (तिब्बत) से संबंधित मुद्दों पर अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना चाहिए। चीन तिब्बत का उल्लेख शिजांग के नाम से करता है। माओ ने कहा कि भारत को अपने शब्दों और कार्यों में सावधानी बरतनी चाहिए, शिजांग से संबंधित मुद्दों पर चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए और चीन-भारत संबंधों के सुधार और विकास को प्रभावित करने वाले मुद्दों से बचना चाहिए। माओ ने चीन के इस रुख को दोहराया कि दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध धर्म के दूसरे सबसे बड़े धर्म गुरु पंचेन लामा के उत्तराधिकारी के लिए घरेलू प्रक्रिया, ‘स्वर्ण कलश’से निकाले गए भाग्य पत्र और केंद्र सरकार की मंजूरी के अनुरूप कठोर धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं के अनुसार होना चाहिए। कौन चुनेगा उत्तराधिकारी तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने बुधवार को कहा था कि दलाई लामा संस्था जारी रहेगी और केवल ‘गादेन फोडरंग ट्रस्ट’ को ही उनके उत्तराधिकारी को मान्यता देने का अधिकार होगा। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने गुरुवार को कहा कि अगले दलाई लामा पर फैसला सिर्फ स्थापित संस्था और दलाई लामा लेंगे। उन्होंने कहा कि इस फैसले में कोई और शामिल नहीं होगा। वीरेंद्र/ईएमएस/07जुलाई2025