-मिशन का मकसद था- मंगल ग्रह पर गांजे की खेती संभव है या नहीं नई दिल्ली,(ईएमएस)। जर्मनी की एयरोस्पेस स्टार्टअप ने 23 जून को एक खास कैप्सूल लॉन्च किया था जिसको नाम दिया था मिशन पासिबल। मकसद था, राख और कुछ गांजे के बीज लेकर पृथ्वी की कक्षा में दो चक्कर लगाने के बाद सुरक्षित वापसी करना, लेकिन वापसी में ही सब कुछ बर्बाद हो गया। इस मिशन को टेक्सास स्थित स्पेस बुरियल कंपनी ने डिज़ाइन किया था। इस बार कंपनी सिर्फ राख को अंतरिक्ष में भेजकर वहीं नहीं छोड़ना चाह रही थी, बल्कि उसे वापस पृथ्वी पर लाकर एक संदेश देना चाह रही थी, लेकिन यह पहला ‘रिटर्न स्पेस बुरियल’ मिशन असफल रहा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कैप्सूल का नाम नेयक्स था और शुरुआत में यह मिशन सफल होता दिखा। लॉन्च के बाद कैप्सूल पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा, दो बार परिक्रमा की, और उसमें मौजूद उपकरण सही से काम कर रहे थे लेकिन जब वह पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा लौट रहा था, तो कुछ मिनट पहले उसका संपर्क टूट गया। उम्मीद थी कि यह कैप्सूल प्रशांत महासागर में सुरक्षित उतर जाएगा, लेकिन टीईसी ने पुष्टि की कि कैप्सूल क्रैश हो गया और समुद्र में समा गया। कोई भी हिस्सा या राख बरामद नहीं हो सकी। इस कैप्सूल में सिर्फ इंसानों की राख ही नहीं थी, बल्कि कुछ गांजे के बीज भी भेजे गए थे। यह एक सिटिजन साइंस मिशन था, जिसका मकसद यह जांचना था कि मंगल ग्रह पर गांजे की खेती संभव हो सकती है या नहीं, लेकिन अब ये बीज भी समुद्र की गहराइयों में दफन हो गए। कंपनी के सह-संस्थापक ने घटना को लेकर दुख जताया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार था जब किसी की अस्थियों को अंतरिक्ष में भेजकर दोबारा धरती पर लाने का प्रयास किया गया। यह एक साहसी मिशन था और जो परिवार इसमें शामिल हुए, उन्होंने एक इतिहास रचने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि असफलता के बावजूद यह तथ्य कि 166 लोगों की राख ने पृथ्वी का चक्कर लगाया, अपने आप में एक सम्मानजनक उपलब्धि है। कंपनी ने सभी प्रभावित परिवारों से संपर्क किया है और उन्हें आगे के विकल्पों पर चर्चा का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि हम पूरी पारदर्शिता, करुणा और सम्मान के साथ सेवा करते रहेंगे। कंपनी ने दोबारा ऐसा मिशन लॉन्च करने की प्रतिबद्धता जताई। उनका कहना है कि आने वाले समय में सुरक्षित ‘रिटर्न स्पेस बुरियल’ को एक नई दिशा दी जाएगी। सिराज/ईएमएस 07जुलाई25