राष्ट्रीय
08-Jul-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सीबीआई निदेशक की नियुक्ति में सीजेआई की भूमिका पर आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने सवाल उठाकर पूछा हैं कि क्या ऐसा दुनिया में कहीं और हो रहा है? इसके अलावा उन्होंने जज के घर से नकदी मिलने पर भी खुलकर बात रखी। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा है कि हर अपराध की जांच होनी चाहिए। साथ ही कहा कि अगर पैसा मिला है, तब उसके स्त्रोत का भी पता लगाया जाना चाहिए। दरअसल उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, मैं इससे पूरी तरह हैरान हूं कि सीबीआई निदेशक जैसे कार्यपालिका के पदाधिकारी की नियुक्ति में सीजेआई की भागीदारी होती है। कार्यपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका के अलावा किसी और की ओर से क्यों होनी चाहिए? क्या ऐसा संविधान के तहत होता है? क्या ऐसा दुनिया में कहीं और हो रहा है? बता दें कि डीएसपीआई एक्ट के तहत सीबीआई निदेशक की नियुक्ति हाई पावर कमेटी करती है, जिसके सदस्य प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनकी ओर से नॉमिनेट किया हुआ कोई जज शामिल होता हैं। कोच्चि में कानूनी की पढ़ाई कर रहे छात्रों से बातचीत में उन्होंने न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका को अलग करने वाली सीमा कमजोर होने पर चिंता जाहिर की। उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नई दिल्ली में एक न्यायाधीश के आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले की आपराधिक जांच शुरू होगी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब मुद्दा यह है कि यदि नकदी बरामद हुई थी, तब शासन व्यवस्था को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी और पहली प्रक्रिया यह होनी चाहिए थी कि इससे आपराधिक कृत्य के रूप में निपटा जाता, दोषी लोगों का पता लगाया जाता और उन्हें कठघरे में खड़ा किया जाता। उपराष्ट्रपति ने कहा कि 14-15 मार्च की रात को न्यायपालिका को अपने खुदे के इडस ऑफ मार्च का सामना करना पड़ा, जब बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की गई थी, लेकिन अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। धनखड़ ने कहा कि इस मामले से शुरुआत से ही एक आपराधिक मामले के तौर पर निपटा जाना चाहिए था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के 90 के दशक के एक फैसले के कारण केंद्र सरकार के हाथ बंधे हुए हैं। आशीष दुबे / 08 जुलाई 2025