नई दिल्ली (ईएमएस)। राजधानी दिल्ली में एक पुरानी झील है जिसे खूनी झील कहा जाता है। इस झील का इतिहास 1857 की क्रांति से जुड़ा हुआ है। लोगों का दावा है कि इस झील के आसपास आज भी डरावनी आवाजें आती हैं। दिल्ली एक ऐसा शहर है जो अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और चहल-पहल के लिए जाना जाता है। ये शहर अपने सीने में कई अनसुलझे रहस्य भी छिपाए हुए है। इनमें से एक है कमला नेहरू रिज में स्थित खूनी झील, जिसका नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह झील न केवल अपनी गहराई और खूबसूरती के लिए मशहूर है, बल्कि इसके इर्द-गिर्द फैली डरावनी कहानियों और रहस्यमयी घटनाओं के लिए भी चर्चा में रहती है। आइए आपको दिल्ली की इस झील की कहानी बताते हैं। खूनी झील का इतिहास 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है। उस दौर में, कमला नेहरू रिज के इस इलाके में भयंकर लड़ाइयां हुई थीं। भारतीय और ब्रिटिश सिपाहियों के बीच हुए संघर्ष में सैकड़ों लोग मारे गए। कहा जाता है कि मारे गए सिपाहियों, घोड़ों और खच्चरों के शवों को इसी झील में डाला गया था। कई दिनों तक झील का पानी लाल रहा और आसपास बदबू फैली रही। यही वह समय था जब इस झील को खूनी झील का नाम मिला। खूनी झील की गहराई आज भी एक पहेली है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस झील की तलहटी इतनी गहरी है कि इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। कई लोग, खासकर सैलानी, इसकी नीली और साफ दिखने वाली सतह से आकर्षित होकर इसके करीब जाते हैं, लेकिन अक्सर हादसों का शिकार हो जाते हैं। कुछ लोग सेल्फी लेते वक्त फिसलकर गिर जाते हैं, तो कुछ तैरने की कोशिश में डूब जाते हैं। आश्चर्यजनक रूप से, कई बार शव भी नहीं मिलते। प्रकृति की गोद में बसी होने के बावजूद, खूनी झील का आसपास का इलाका सुनसान रहता है। इसका कारण है इसकी डरावनी प्रतिष्ठा और असामाजिक तत्वों की मौजूदगी। दिन के उजाले में भी यहां आने से पहले लोग कई बार सोचते हैं। स्थानीय प्रशासन ने सावधानी बरतने की चेतावनियां जारी की हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि झील में एक अजीब-सी ताकत है, जो लोगों को अपनी ओर खींचती है। प्रशासन ने यहां तैरने पर पाबंदी लगा रखी है, लेकिन कुछ लोग नियमों की अनदेखी कर हादसों का शिकार हो जाते हैं। अजीत झा/ देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/08/ जुलाई /2025