राष्ट्रीय
08-Jul-2025


पूर्णिया,(ईएमएस)। बिहार में एक ही परिवार के 5 लोगों को अंधविश्वास के चलते भीड़ ने पहले बेरहमी से पीटा और फिर डीजल डालकर जिंदा जला दिया। यह घटना 7 जुलाई, 2025 को पूर्णिया के टेटगामा गांव में हुई। हत्याकांड से तीन दिन पहले एक बच्चे की मौत हुई थी, जिसके बाद लोगों का गुस्सा भड़क गया था। मामले में पीड़ित परिवार बाबूलाल उरांव, उनकी पत्नी सीता देवी, पोता मंजित उरांव और उसकी पत्नी रनिया देवी (पांचवें मृतक की पहचान स्पष्ट नहीं) है। वहीं गांव के लोगों का मानना था कि बाबूलाल की मां कागतो देवी डायन हैं और उन्होंने सिद्धि के लिए अपने पति की बलि दे दी थी। वे झाड़-फूंक का काम करती थीं। दरअसल 5 दिन पहले गांव के रामदेव उरांव के बेटे की अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई थी, और उनका छोटा बेटा भी बीमार था। इसके बाद गांव में अफवाह फैल गई कि बाबूलाल का परिवार रामदेव के छोटे बेटे की भी बलि देने वाला है। फिर क्या 6 जुलाई की रात टेटगामा गांव में एक पंचायत बुलाई गई, जिसकी अगुवाई गांव के प्रमुख नकुल उरांव ने की। पंचायत में बाबूलाल के परिवार को भी बुलाया गया, लेकिन वे नहीं आए। इसके बाद पंचायत के फैसले के बाद रात करीब 10 बजे नकुल के नेतृत्व में भीड़ ने बाबूलाल के घर पर धावा बोल दिया। उन्होंने परिवार के लोगों को बुरी तरह पीटा और फिर डीजल डालकर जिंदा जला दिया। बाबूलाल के बड़े बेटे ललित उरांव और छोटे बेटे सोनू उरांव ने घटना को देखा। सोनू किसी तरह बचकर अपनी नानी के घर भागा और पुलिस को सूचना दी, लेकिन जब तक पुलिस पहुंची, गांव खाली हो चुका था। पुलिस ने इस मामले में 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें गांव का प्रमुख नकुल उरांव भी शामिल है। नकुल उरांव ने पुलिस पूछताछ में पंचायत बुलाने और रात 10 बजे 50 लोगों के साथ बाबूलाल उरांव के घर पर हमला करने की बात कबूल की है। पुलिस को बाबूलाल के घर से 100 मीटर की दूरी पर साड़ी, कपड़े, झाड़-फूंक का सामान, खून से सने टॉर्च और अन्य चीजें मिली हैं। आशीष दुबे / 08 जुलाई 2025