बिहार वोटर लिस्ट: राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का विरोध, बिहार बंद में कांग्रेस का बड़ा प्रदर्शन हुआ कन्हैया कुमार और पप्पू यादव की इस रैली में महागठबंधन का हिस्सा नहीं बने और वाहन में बाहर कर फेंकना अच्छा नहीं है और एक तरफ मोदी जी नीतीश कुमार को अपनी माला में जगह देते हैं वोट आपका अधिकार है लेकिन जानिए संसार में अधिकांश लोग अपने-अपने स्वार्थों में फँसे हुए हैं तथा जहाँ भी किसी का कोई स्वार्थ टकराता है, वह आपकी व्यर्थ निन्दा शुरु कर देता है। मनुष्य किस-किस क्षेत्र में कहाँ तक हटे ? कभी-कभी संघर्ष करना जरूरी हो जाता है। संघर्ष से व्यक्तित्व निखरता है और प्रभाव बढ़ता है। संघर्ष में साथी और विरोधी भी परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं। जो कल विरोधी था, वह आज साथी हो सकता है और जो कल साथी था, वह आज विरोधी हो सकता है। केवल मित्रता स्थायी होती है, किंतु मित्र तो जीवन में एक-दो ही होते हैं। उदारताजन्य सद्भावना सबके लिए होनी चाहिए, यद्यपि मित्रता तो एक-दो से ही हो सकती है। उदारता अथवा सद्भावना का अर्थ तुष्टीकरण कदापि नहीं होता है। संघर्ष में अपराध-वृत्तिवाले (क्रिमिनल) दुष्टों का सहारा लेकर विजय पाने पर भी आपको एक दिन पराजय का मुँह देखना पड़ेगा; क्योंकि वे अंत में आपको भी शिकार बनाये बिना न रह सकेंगे। संघर्ष में यह स्मरण रखना उचित है कि किसी व्यक्ति के प्रति मन में घृणा और क्रोध नहीं बसा लेना चाहिए तथा घृणा और क्रोध से प्रेरित होने के बजाय न्याय एवं सत्य से प्रेरणा लेनी चाहिए। हम समाज-हित में, न्याय के समर्थन में, संघर्ष करें तथा दुष्ट को दण्ड दें, किंतु घृणा अथवा बदले की भावना से किसी को नष्ट करने के लिए उतारु न हो जाएँ। ईश्वर जिसे आयु और आजीविका प्रदान करता है, हमें मूर्खतावश उसके साथ एक क्षणभर में ही उकताहट हो जाती है। जिसे प्रभु जीवन का अवसर दे रहा है, हमें उससे घृणा करने का अधिकार नहीं है। विरोध एवं संघर्ष करते हुए भी हम इंसानिय न खो बैठे तथा संघर्ष एवं विरोध का दायरा सीमित ही रखें। धीरे-धीरे जब मनुष्य विचार-क्षेत्र में ऊँचे स्तर पर आ जाता है, तब वह जीवन में अधिक उदात्त होकर तथा अधिक ऊँची वस्तुओं में रुचि लेकर तुच्छ प्रकार के संघर्ष करना छोड़ देता है तथा अधिक उपयोगी दिशा में संघर्ष करना प्रारंभ कर देता है। यह पलायान नहीं, बुद्धिमता होती है, जीवन में स्वस्थ मोड़ होता है। इसे पलायन कहना भूल होती है। पलायन के मूल में भय होता है तथा मोड़ का कारण होता है-मन का ऊँचे धरातल पर पहुँचना। सन्त-वृत्ति अपनाने पर तथा आध्यात्मिक रुचि ग्रहण कर लेने पर, मनुष्य धन अथवा पद आदि के लिए लौकिक संघर्ष से अधिक-से-अधिक संभव सीमा तक दूर हटकर स्वाध्याय, ज्ञानार्जन, ध्यान के अभ्यास, प्रार्थना, परोपकार, सेवाकार्य आदि में जुट सकता है। यह रुचि परिष्कार कहलाता है। अरविंद घोष सहसा राजनीति से हटकर अध्यात्म में लग गये थे। पनी रुचियों को खोजकर उन्हें उचित दिशा देने से विशेष सुख मिलता है। यदि आपमें कलाकार, चित्रकार, वैज्ञानिक, विचारक, कवि, सामाजिक कार्यकर्ता छिपा पड़ा हो, तो उसे जगायें। यश की इच्छा छोड़कर अपने व्यक्तित्व की गहरी माँगों को तन्मयता से पूरा करके उसका विकास करना मानो ईश्वर की योजना को पूरा करना है तथा प्रगाढ़ सुख की ओर बढ़ना है। दि ईमानदारी, सचाई और योग्यता होने पर भी उन्नति न मिले, तो उसे ईश्वर की इच्छा मानकर स्वीकार करें तथा ईमानदारी को न कोसने लगें। ईमानदारी का फल सदा मीठा ही होता है। प्रभु आपको किसी अन्य रूप में( स्वास्थ्य, यश, पुत्रादि की उन्नति) पुरस्कार देगा। वास्तव में सुख मन की एक आन्तरिक अवस्था है, जो बाह्य पदार्थों पर निर्भर नहीं है तथा चरित्रवान् व्यक्ति को वह सहज ही प्राप्त हो जाती है। आन्तरिक सुख ही चरित्र का सर्वोत्कृष्ट पुरस्कार होता है। जिनके पास धन और ऐश्वर्य है, किंतु आन्तरिक सुख नहीं है, वे अभागे हैं। भीतर का धन ही सच्चा धन है।मोदी ईमानदार और सच्चे हैं, ईमानदारी होने के अतिरिक्त उचित सहायता-सहयोग देने के लिए सदैव प्रस्तुत रहने की भावना होना मनुष्य को स्वस्थ और संतुलित रखता है, मानव को मानव बनाये रखता है। कभी-कभी ईमानदारी की धुन मनुष्य को वहमी बना देती है।–जैसे दफ्तर की पैंसिल और कलम से अपना व्यक्तिगत पत्र भी न लिखना। व्यावहारिता और यथार्थ का धरातल कभी न छोड़ें। सिद्धान्तों का उद्देश्य मानवहित होता है तथा सीमा से परे जाने पर सिद्धान्त अमानवीय हो जाते हैं। मोदी ईमानदार हैं.जब तक लोकतांत्रिक है कोई हटा नहीं सकता हैं।कम से कम आतंकवादी से लड़ाई तो लड़ी 26।11। में आपके पास भी समय था लड़ने की हिम्मत तो दिखा देते उस समय न जाने कितने लोग मारे गए देश को चलाना इतना आसान है। (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) ईएमएस / 11 जुलाई 25