लंदन (ईएमएस)। हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि साल 2024 में ब्रिटिश टैक्स पेयर्स का ब्रिटेन के राज परिवार पर कुल 1,555 करोड़ रुपये की रकम खर्च होने का अनुमान है। इस रकम में महलों का रखरखाव, शाही यात्राएं और कर्मचारियों का वेतन शामिल है, जबकि सुरक्षा जैसे भारी खर्च इसमें नहीं आते। ब्रिटेन के राज परिवार पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। इस बार यह आंकड़ा और भी बड़ा हो गया है। ब्रिटेन के राज परिवार को मिलने वाले इस फंड का नाम है ‘सॉवरेन ग्रांट’, जो ब्रिटेन के शासक को उनकी आधिकारिक जिम्मेदारियों और महलों के रखरखाव के लिए मिलता है। ये पैसा ‘क्राउन एस्टेट’ की आय से तय होता है– यानी वो जमीन और प्रॉपर्टी जो राजा के नाम पर होती हैं, लेकिन जिनका मुनाफा सरकार को जाता है। बकिंघम पैलेस के नवीनीकरण और देखरेख पर 485 करोड़ रुपये और कर्मचारियों के वेतन पर 352 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस बीच आलोचक सवाल उठा रहे हैं कि जब ब्रिटेन में आम लोग आर्थिक तंगी, महंगे बिल और कमजोर स्कूल और हॉस्पिटल के सिस्टम से जूझ रहे हैं, तब अरबों की संपत्ति वाला शाही परिवार आखिर क्यों जनता के पैसे से चलता है? शाही ट्रेन जैसी महंगी सुविधाएं 2027 तक बंद की जाएंगी, जिससे सालाना 1 मिलियन पाउंड की बचत होगी। लेकिन ‘रिपब्लिक’ जैसे राजशाही विरोधी संगठन मांग कर रहे हैं कि सॉवरेन ग्रांट पूरी तरह खत्म हो, ताकि टैक्सपेयर्स का पैसा जनहित में खर्च हो सके। दिलचस्प बात ये है कि राजा चार्ल्स को सिर्फ सॉवरेन ग्रांट से ही नहीं, बल्कि डची ऑफ लैंकेस्टर नामक संपत्तियों से भी सालाना करीब 20 मिलियन पाउंड (236 करोड़ रुपये) की कमाई होती है। ये अलग-अलग शहरों में फैली करोड़ों की संपत्तियां हैं। 2023 में केवल शाही यात्राओं पर 55 करोड़ रुपये खर्च हुए। केवल समोआ की फ्लाइट पर ही 4.7 करोड़ रुपये लगे। सुदामा/ईएमएस 11 जुलाई 2025