व्यापार
11-Jul-2025


- मंत्रालय ने कंपनियों की मांग खा‎रिज की नई ‎दिल्ली (ईएमएस)। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने दोपहिया वाहन कंपनियों की उस मांग को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (एबीएस) को सभी नए छोटे वाहनों में अनिवार्य न करने की अपील की थी। अब 1 जनवरी 2026 से 50 सीसी से अधिक या 50 किमी/घंटा से तेज रफ्तार वाले सभी नए दोपहिया वाहनों में एबीएस लगाना अनिवार्य होगा, चाहे वे पेट्रोल हों या इलेक्ट्रिक। इस फैसले से सबसे अधिक असर 125 सीसी से कम क्षमता वाले वाहनों पर पड़ेगा, जो कुल दोपहिया बाजार का 77 फीसदी हिस्सा बनाते हैं। कंपनियों का कहना है कि एबीएस लगाने से प्रति वाहन 3,500 से 6,000 रुपए तक की अतिरिक्त लागत आएगी। इससे उनकी सालाना लागत करीब 7,300 करोड़ रुपये बढ़ सकती है और वाहन कीमतें भी बढ़ेंगी। कंपनियों ने यह भी तर्क दिया कि वर्तमान में बाजार में मांग पहले से ही धीमी है, ऐसे में कीमत बढ़ाना ग्राहकों की जेब पर भी असर पड़ेगा। इसके अलावा एबीएस निर्माण में इस्तेमाल होने वाले दुर्लभ मैग्नेट की आपूर्ति पर चीन का नियंत्रण है, जिसने 4 अप्रैल से इनकी सप्लाई रोक दी है। इससे वाहन निर्माण पर वैश्विक स्तर पर असर पड़ रहा है। बजाज, हीरो, टीवीएस, सुजुकी, होंडा, एथर जैसी प्रमुख कंपनियों और ‎सियाम के प्रतिनिधियों ने हाल ही में मंत्रालय से इस नियम को टालने की अपील की थी, लेकिन मंत्रालय ने सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए अपने फैसले पर अडिग रहने का संकेत दिया है। यह कदम सड़क सुरक्षा की दिशा में बड़ा सुधार माना जा रहा है, लेकिन इसके चलते कंपनियों और उपभोक्ताओं दोनों को आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है। सतीश मोरे/11जुलाई ---