छिंदवाड़ा जबलपुर (ईएमएस)। जिले की सहकारी सोयायटियों में खाद का टोटा पड़ गया है। जिले के लाखों किसानों को 146 सहकारी साख समितियों के माध्यम से परमिट जारी कर खरीफ के सीजन में यूरिया दी जानी है लेकिन पिछले 20 दिनों से किसी भी सोयासटी मेें एक बोरी खाद भी नहीं पहुंची है। किसान रोज चक्कर काट रहे हैं और समितियों में सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है। किसान परेशान भी हैं और आक्रोशित भी। किसानों का कहना है कि हर साल एन मौके पर खाद की किल्लत का सामना किसानों का करना पड़ता है। इधर सोसायटी कर्मचारियों का कहना है कि सोमवार तक कुछ यूरिया उपलब्ध कराने की बात जिला मुख्यालय से बताई जा रही है। किसान रोज खाद लेने के लिए सोसायटियों में आ रहे हैं। जिला मुख्यालय से लगी बोरिया, उबेगांव, बनगांव, हरनाखेडी सहित अन्य समितियों में खाद की किल्लत से किसान जूझ रहे हैं। बोरगांव के समिति प्रबंधक रामराव नागरे ने बताया कि 20-22 दिन से यूरिया नहीं आया है। एक एकड़ के लिए दो बारी यूरिया किसान को देना है लेकिन खाद ही नहीं है। हमें वर्तमान में कम से कम 100 मीट्रिक टन खाद चाहिए। कई किसान हैं जो खाद के लिए भटक रहे हैं। यूरिया की किल्लत के बीज सोयसाटियों में किसानों को नैनों यूरिया और नैनो डीएपी लेने के लिए कहा जा रहा है। इधर किसान यूरिया के बैग ही लेने के इच्छुक हैं। कई किसान ऐसे हैं जिन्हें फसलों के लिए तुरंत खाद की जरूरत है वे जरूर नैनो यूरिया लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं। समिति कर्मचारियों का कहना है कि हम किसानों पर इसके लिए दबाव नहीं डाल सकते। दर्जनों गांवों के किसान हो रहे परेशान ध्यान रहे जिले की 146 समितियों के दर्जनों गांव जुड़े हैं और यहां के लाखों किसानों को खाद की जरूरत है। जो किसान बैंक से डिफाल्टर है या इससे नहीं जुड़े हैं विपणन संघ की तरफ से उन्हें नकद खाद दी जाती है लेकिन जो बैंक से जुड़े हैं उन्हें परमिट जारी कर रकबे और फसल के हिसाब से यूरिया समितियों के जरिए दिया जाता है। ये सभी किसान परेशान हो रहे हैं। 42 हजार मीट्रिक टन की डिमांड जिले की 146 प्राथमिक सहकारी समितियों से जुड़े किसानों के लिए विभाग ने 42 हजार मीट्रिक टन यूरिया की डिमांड इस खरीफ सीजन के लिए की है। विपणन अधिकारी अजय राठौर ने बताया कि हर साल 10 प्रतिशत बढ़ाकर डिमांड दी जाती है। इस बार 42 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा की डिमांड हमने की थी। अब तक 29 हजार 877 मीट्रिक टन यूरिया ही उपलब्ध हुआ है जो समितियों के जरिए किसानों को बांटा जा चुका है। लगभग 13 हजार मीट्रिक टन की आवश्यकता समितियों का और है। कई किसान यूरिया की डिमांड कर रहे हैं। जिले में यूरिया की रैक न आने के कारण किल्लत बनी हुई है। फसलों के मुख्य सीजन में खाद की किल्लत कोई नई बात नहीं है। इस बार बैंक की तरफ से खाद की कमी की जानकारी प्रशासनिक स्तर भी दी जा चुकी है। इस संबंध में पत्राचार भी किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार गत दिनों कमिश्रर मीटिंग में जिले मेें खाद की आवश्यकता को लेकर कलेक्टर भी उच्च अधिकारियों को जानकारी दे चुके हैं। गत दिनों सांसद बंटी साहू के पास भी कई किसानों ने समस्या बताई है। उन्होनें भी इस संबंध में उच्च अधिकारियों चर्चा की है। ईएमएस / 11/07/2025