वॉशिंगटन (ईएमएस)। इंसानी अंडे और शुक्राणु लैब में तैयार करना कुछ सालों में हकीकत बनने वाला है। इस तकनीक में जापान के ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वैज्ञानिक कात्सुहिको हायाशी सबसे आगे माने जाते हैं। उनकी लैब में इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस तकनीक पर काम हो रहा है जिसमें इंसान की त्वचा या खून की कोशिकाओं को सेक्स सेल्स यानी अंडे और शुक्राणु में बदला जा रहा है। हायाशी का दावा है कि उनकी टीम सात साल के भीतर इंसानों के लिए लैब-बेस्ड अंडे और शुक्राणु तैयार कर लेगी। इसका मतलब यह है कि भविष्य में कोई महिला बिना गर्भधारण किए बच्चा पैदा कर सकेगी या दो पुरुष जैविक पिता बन सकेंगे। इससे उन लोगों के लिए उम्मीद जगेगी जिनमें प्राकृतिक रूप से संतान उत्पन्न करने की क्षमता नहीं है। अमेरिका की सिलिकन वैली स्थित स्टार्टअप ‘कन्सेप्शन बायोसाइंसेज’ भी इस तकनीक पर काम कर रही है। कंपनी के सीईओ मैट क्रिसिलोफ का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो यह तकनीक पांच साल में क्लिनिकों में इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो जाएगी। अरबों डॉलर का निवेश केवल बांझपन के इलाज के लिए नहीं, बल्कि इंसानी जीवन को नए सिरे से गढ़ने के इरादे से किया जा रहा है। माउस पर यह प्रयोग पहले ही सफल हो चुका है जहां दो नर चूहों के शुक्राणुओं से लैब में मादा चूहा तैयार किया गया। अब वैज्ञानिक यही प्रक्रिया इंसानों पर आजमाना चाहते हैं। हायाशी की लैब में छोटे टेस्टिकल ऑर्गनॉइड बनाए गए हैं जिनमें शुक्राणु के प्रीकरसर सेल्स बनते हैं। हालांकि अभी ये कोशिकाएं मर जाती हैं लेकिन ऑक्सीजन सप्लाई को बेहतर करके इन्हें जीवित रखने की कोशिश की जा रही है। इसी तरह ओवरी ऑर्गनॉइड भी विकसित किए जा चुके हैं जिसमें एक दिन इंसानी अंडे पूरी तरह से तैयार किए जा सकेंगे। हालांकि इस तकनीक को लेकर चिंताएं भी गहरी हैं—क्या इन लैब-बेस्ड सेल्स में कोई जेनेटिक दोष तो नहीं होगा? क्या इनसे पैदा होने वाला बच्चा स्वस्थ होगा और क्या उसमें प्रजनन करने की क्षमता होगी? इन सवालों के जवाब देने के लिए लंबे समय तक परीक्षण की जरूरत पड़ेगी। फिर भी विशेषज्ञ मानते हैं कि अगले दस साल के भीतर दुनिया पहला ऐसा इंसान देख सकती है जो लैब में बने अंडे या शुक्राणु से जन्मेगा। सुदामा/ईएमएस 12 जुलाई 2025