पढ़ाई किसी भी क्षेत्र में केवल शिक्षा ग्रहण नहीं करना है बल्कि हमें शिक्षक से गुणवान बनाता है जो जीवन में जरुरी है ख़ासकर आज के तकनिकी युग में हालांकि चुनाव एक लोकतान्त्रिक प्रक्रिया है इसमें लागू नहीं होता है लेकिन यदि पढ़ा लिखा होगा तो भविष्य में उसे अवश्य ही काम आएगा मैं एक सेमिनार में मुख्य अथिति के रूप में 2016 में सिवनी गया जहाँ सभी डॉ थे और हमें उनके व्यवहार से ऐ सिखने क़ो मिला पीच्डी आपके लिए काफी मायने रखती है हालांकि आर्ट और साइंस में करना उतना टफ नहीं है जितना इंजीनियरिंग में क्योंकि बीटेक ही एक टफ कोर्स है इंडिया में शिक्षा विदेशों से काफी बेहतर है जिसमें संस्कार क़ो भी एक आदर्श के रूप में देखा जाता है यह हमें चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, सतना में देखने क़ो मिला जहाँ छात्र शिक्षक क़ो पैर छूते नजर आए यही हमारी संस्कृति है जो बड़ो का सम्मान करना और सही वक़्तव्य देना उचित होता है जहाँ तक राजनीती का सवाल है अब उसमें भी पढ़े लिखें लोग शामिल हो रहें है जो पूर्व में आईएएस रहें हैं जैसे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और राजीव प्रताप रूड़ी, केंद्रीय मंत्री डॉ जीतेन्द्र सिंह और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और शशि थरूर जैसे कई अनुभवी नेता हैं देश क़ो चलाने के लिए मंत्रालय होता है और उसके लिए सरकार द्वारा चुनाव में जीते गए एमपी या राज्य सभा के सांसद होते हैं मंत्री पद भी उनकी योग्यता के अनुसार देने की कोशिश होती है जैसे स्वास्थ्य मंत्रालय में डॉ और न्याय मंत्रालय में एल एल बी होता है मंत्री के निचे 1या दो राज्य मंत्री होते हैं और उस मंत्रालय का सचिव जो आईएएस रैंक का या उस क्षेत्र से सम्बंधित उच्च संस्थान में निदेशक हो जैसे विज्ञान और प्रोधोगिकी मंत्रालय के सचिव प्रोफेसर अभय कराणदीकर जी है हैं जो आई आई टी, कानपुर के फॉर्मर डायरेक्टर थे इसी तरह अन्य विभाग में होता है उसे उस क्षेत्र की पूर्ण जानकारी होता है अतः वह विदेश में भारत का प्रतिनिधित्व करता है अभी हाल ही में अमेरिका में यूक्रेन क़ो हथियार के मदद में राष्ट्रपति ट्रम्प के आदेश के बाद भी रक्षा सचिव ने वहाँ से बापस मंगा लिया क्योंकि ऑडिट करना कारण बताया गया अतः सरकार सचिव के मामलों में दखल नहीं देती है क्योंकि वो कैबिनेट से चुने जाते है अतः यदि मंत्री पढ़ा लिखा होगा तो उस क्षेत्र का सही ज्ञान होगा और विदेश में किसी भी समझौता में बहुत सोच समझ कर जबाब देगा हाल ही में भारत में रक्षा के क्षेत्र में उप सेना प्रमुख राहुल आर. सिंह 4 जुलाई, 2025 को फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में साफ कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में हम सिर्फ पाकिस्तान से नहीं बल्कि तीन फ्रंट पर लड़ाई कर रहें थे जिसमें पाकिस्तान के साथ तुर्की भी शामिल था इसमें सेना पर गर्व करना चाहिए कि सेना की ताकत और भविष्य में रक्षा कूटनीति की की नितांत आवश्यकता है और रूस से सम्बन्ध यदि ठीक नहीं है तो उसे सुधारने की जरुरत है इसलिए शायद सरकार ने शशि थरूर क़ो रूस भेजा अमेरिका कभी मदद नहीं करेगा इसका पुराना इतिहास रहा है हालांकि इजराइल ने मदद की है जैसे अन्य स्रोत से मालूम हुआ है अतः भारत ने इसलिए ईरान और इजराइल के युद्ध में दुरी बना लीं अब विदेश नीति क़ो सुधार करने की जरुरत है क्योंकि हम अभी भी रक्षा के मामले में आत्मनिर्भर नहीं है ऐ तो पूर्व प्रधानमंत्री अटलजी का 1998 में अमेरिका क़ो ताक में रख कर परमाणु परीक्षण किया जिसका हवाला ट्रम्प ने दिया कि भारत में सीजफायर इसलिए कराया ताकि परमाणु युद्ध ना हो जाये और जब पता लगा की पाकिस्तान का परमाणु बम किसी और देश अमेरिका के नियंत्रण में है तो प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्र के नाम पर पाकिस्तान क़ो सीधा संदेश दिया कि परमाणु ब्लैक मेल नहीं चलेगी ऐसा भारत के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्र के नाम संदेश में दिया यदि हर किसी के कार्य के बारे में चर्चा करे इससे पहले अपने बारे में चर्चा से आज के हालत में पढ़ाई की कीमत क़ो पहचाने आज तकनिकी युग है शुरू से हमलोगों का पेशा नौकरी करना नहीं रहा है लेकिन समय बदलते ही ऐ समझ गया आने वाला समय टेक्नोलॉजी का है इसलिए भाई क़ो इंजीनियरिंग करने क़ो प्रोत्साहित किया और इसप्रकार समाज में योग्यता के बल पर मान सम्मान मिला पहले हमारे बुजुर्ग लोग पूजा पाठ और लोगों की समस्या क़ो हल करते थे कई अपने रिश्तेदार में समाधि भी लगाई है विंध्याचल से लेकर वृन्दावन में हमारे रिश्तेदार रहते हैं हमें रामायण की शिक्षा दादाजी से मिली और बाद में प्रभु राम के महत्व क़ो जाना अतः नेगेटिव और पोजेटिव दोनों का होना जरुरी है पोजटिव पाना है तो नेगेटिविटी गतिविधियों क़ो मन में आने ही ना दें अच्छा कर्म,मानवता ही पोजटिव का स्रोत है हमारे परिवार में आज भी लोग खुद पूजा पाठ करते हैं जो पोजटिव एनर्जी देती है अतः पढ़ना जरुरी है देश में पढ़े लिखें लोगों क़ो ही वोट देना प्रदेश या देशहित में होता है क्योंकि इससे उसे अपने व्यवहार और समस्या क़ो हल करने में सहूलियत होती है नीतीश कुमार जो वर्तमान में बिहार के सीएम हैं वो एन आईटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री किए है इसलिए बिहार का विकास हुआ और खुद प्रशांत किशोर जन सूराज पार्टी के नेता तेजस्वी यादव जो महागठबंधन के लिए बिहार में अगले चुनाव में अपने मुख्यमंत्री की दावेदारी कर रहें हैं 9वीं फेल है यह मंच पर बताने की जरुरत नहीं थी बिहार के लोग खुद जानते हैं क्योंकि जब जेडीयू और आरजेडी के गठबंधन से 2015 में सरकार बनी थी तब गली गली में लोग कह रहें थे कि तेजस्वी यादव क़ो उपमुख्यमंत्री बनाया गया जो 9 वीं फेल हैं बिहार में कुछ भी छिपता नहीं है वहाँ शाम में लोग चाय पर निकलते हैं और यही सब चर्चा चलती है जब 2014 में एक चाय बेचने वाला जो एनडीए के हमेशा खिलाफ रहा तो मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने पर बहुत खुश हुआ कि चाय बेचने वाला जब प्रधान मंत्री बन सकता है तो लोकतंत्र में क़ोई भी देश का सच्चा सेवक क्यों नहीं बन सकता लेकिन तेजस्वी यादव और राहुल गाँधी ने कभी भगवान श्री राम पर खुले दिल से उनके प्रशंसा के क़ोई भी बात नहीं कहा इसलिए ऐ सब बिहार चुनाव में क़ोई मायने नहीं रखती क्योंकि वहाँ की जनता क़ो सब मालूम है.अतः बोलचाल और चुनाव में गमछा हिलाने से ही पता चल जाता है कि क्या है पढ़ाई से जो उस मंत्रालय के सचिव या आई पी एस ऑफिसर होते हैं उन्हें एक सम्मान मिलता है इसलिए इसे किसी मंच पर मुद्दा बनाना सही नहीं है इतने दिनों से नीतीश कुमार ने कभी उसकी योग्यता पर प्रश्न नहीं किया और काम करते चले गए लेकिन आज कल बिहार में कारोबारी की हत्या होना भी सही नहीं है प्रशासन क़ो ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे सरकार क़ो घेरने का विपक्ष क़ो मौका मिलता है। ईएमएस / 14 जुलाई 25