- सेबी तमाशा देखती रह गई अमेरिका की कंपनी जेन स्ट्रीट हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग फर्म है। इसने पिछले 4 सालों में भारत के वायदा कारोबार में ट्रेडिंग के नियमों का उल्लंघन कर लाखों करोड़ रुपए की लूट भारत से की है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेवी) आंख बंद करके बैठी रही। भारत के वायदा कारोबार से जुड़े 91 फ़ीसदी निवेशकों को पिछले 4 सालों से यह कंपनी लूट रही थी। अभी तक जो जानकारी प्राप्त हुई है। उसके अनुसार 2 लाख करोड रुपए से ज्यादा की लूट इसने पिछले वर्षों में की है। इसके पहले के आंकड़ों को अभी तक सेवी ने उजागर नहीं किया है। जब इस मामले की कलई खुली, सेबी ने जेन स्ट्रीट और उसकी सहयोगी कंपनियों पर कार्यवाही करते हुए 4843.57 करोड रुपए जप्त करने के आदेश दिए हैं। इस कंपनी ने पिछले दो वर्ष जिसमें वर्ष 2024 में लगभग 50000 करोड रुपए 2025 में 74812 करोड रुपए का घोटाला किया है। कंपनी ने निफ्टी के 50 इंडेक्स वाले शेयरों में हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग वाले सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हुए, पिछले 4 वर्षों से धोखाधड़ी की जा रही है। कंपनी सुबह के समय भारी मात्रा में वायदा कारोबार के शेयर और फ्यूचर्स में कारोबार करती थी। वायदा कारोबार में इन कंपनियों की खरीदी के कारण जब तेजी आ जाती थी। तो खरीदे हुए शेयर कुछ ही सेंकड़ों में बेचकर भारी मुनाफा कमाकर अमेरिका ले जाती थी। इसकी जानकारी देने वाले विहसिल ब्लोअर मयंक बंसल का दावा है। जेन स्ट्रीट ने जनवरी 2023 से मार्च 2025 तक 36502 करोड रुपए का अवैध मुनाफा कमाया है। इसकी सहयोगी कंपनियों के आंकड़े को भी सामने लाया जाए तो पिछले 4 वर्षों में वायदा कारोबार में जो 91 फ़ीसदी छोटे भारतीय निवेशक थे। उन्हें लाखों करोड़ों रुपए का घाटा हुआ है। अमेरिका की कंपनी ने वायदा कारोबार में इंडेक्स की 50 कंपनियों में शॉर्ट ऑप्शन का इस्तेमाल करते हुए भारी मुनाफा कमाया है। भारतीय शेयर बाजार से कमाए गए मुनाफे को कंपनी अमेरिका ले गई है। भारतीय शेयर बाजार का पैसा सिंगापुर और अमेरिका में बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से ट्रांसफर किया गया है। वायदा कारोबार के भारतीय 91 फ़ीसदी निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है। वायदा कारोबार के 50 इंडेक्स वाली सूची के शेयरों में निवेश करने वाले धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं। 3 जुलाई 2025 को सेबी ने जेन स्ट्रीट और उसकी सहयोगी कंपनियों के कारोबार पर प्रतिबंध लगाया है। सेबी ने 4843.57 करोड रुपए जप्त करने के आदेश दिए हैं। इस कंपनी ने लाखों करोड़ रुपए की लूट भारतीय शेयर बाजार से अवैध तरीके से की है। सेबी और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को पल-पल की खबर होती है। शिकायत करने के बाद भी दोनों नियामक संस्थाओं ने कोई कार्यवाही कंपनी पर नहीं की। 4 साल से यह गोरख धंधा चलता रहा, अब जाकर कार्रवाई की गई है। अमेरिका की कंपनी अमेरिका में मामला दर्ज कराने की बात कर रही है। भारतीय शेयर बाजार, विदेशी कंपनियों को मुनाफा देने वाला सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है। विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय शेयर बाजार सोने के अंडे देने वाला बाजार है। भारत की वित्तीय संस्थाओं द्वारा पिछले एक दशक में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों में भारी निवेश किया है। म्युचुअल फंड के जरिये करोड़ों भारतीय छोटे निवेशकों ने शेयर बाजार में निवेश किया है। पिछले 10 साल से विदेशी निवेशकों के लिये मुनाफा वसूली का सबसे बड़ा बाजार भारत का शेयर बाजार है। दुनिया के किसी भी शेयर बाजार में इस तरह की तेजी देखने को नहीं मिली, जो भारतीय शेयर बाजारों में देखने को मिली। निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी सेबी की होती है। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को भी इस तरह के लेनदेन पर निगाह रखनी थी। समय रहते कार्रवाई करनी थी। तीनों आंख बंद करके बैठे रहे। रही-सही कसर केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईड़ी) ने पूरी की है। जब भारत से अरबों रुपए की राशि हर महीने विदेश जा रही थी। शेयर बाजार के जरिए काले धन को विदेशों से भारत के शेयर बाजार में निवेश किया लाया जा रहा था। यहां से मुनाफा बसूली करके धन वापस ले जाया जा रहा था। इस मामले की कई शिकायतें पिछले वर्षों में हुई हैं। किसी भी संस्था ने जांच करने की जहमत नहीं उठाई। जिसके कारण हर साल भारतीय शेयर बाजार के जरिए लाखों करोड़ों रुपए के घोटाले हुए हैं। वायदा कारोबार का यह एक मामला है। जब धोखाधड़ी और घोटाले के मामले खुलकर सामने आएंगे। प्याज की तरह परत दर परत लाखों करोड़ों रुपए के नए-नए घोटाले सामने आते चले जाएंगे। पिछले एक दशक में जिस तरह से सेबी और ईडी में अधिकारियों की नियुक्ति हो रही है। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी विपक्षियों के ऊपर कारवाई करने में लगे हैं। जो काम नियामक संस्थाओं और जांच एजेंसी को करना चाहिए था, उसमें जानबूझकर लापरवाही की गई है? जिसके कारण भारतीय निवेशक शेयर बाजार में लूटते रहे। भारतीय धन विदेशों में जाता रहा। सभी नियामक एजेसियां हाथ पैर हाथ रखकर तमाशा देखते रह गए। यही कहा जा सकता है। अभी भी समय है। भारतीय धन को धोखाधड़ी के जरिए विदेशों में जाने से रोकने के लिये सरकार को तुरन्त कार्रवाई करना चाहिए। अन्यथा आने वाला समय भारत के अर्थतंत्र के लिए बहुत खराब होगा है। ईएमएस / 14 जुलाई 25