नई दिल्ली,(ईएमएस)। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने हाल ही में आईआईटी मद्रास में एक दीक्षांत समारोह के दौरान ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का खुलासा करते हुए बताया था, कि कैसे भारत ने महज 23 मिनट में पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया। उन्होंने कहा था, कि इस ऑपरेशन में केवल आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया और विदेशी मीडिया की रिपोर्टिंग को पक्षपातपूर्ण बताया। इस बयान और पाकिस्तान में गुजारे डोभाल के 7 साल वाले अनुभव से पाकिस्तान वाकई हैरानी में पड़ गया है। दरअसल अजित डोभाल को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का जेम्स बॉन्ड कहा जाता है। उन्होंने 07 साल तक पाकिस्तान में अंडरकवर एजेंट के रूप में खुफिया मिशन पर काम किया। इस दौरान वे मौलवी के वेश में रहे और कई संवेदनशील जानकारियाँ भारत सरकार को उपलब्ध कराईं। एक संस्मरण में उन्होंने बताया कि लाहौर की एक मजार में एक व्यक्ति ने उन्हें पहचानने की कोशिश की थी। उस व्यक्ति ने डोभाल के कान में छेद देखकर उन्हें हिंदू समझा। जब डोभाल ने इनकार किया, तो वह व्यक्ति उन्हें एक कमरे में ले गया और बताया कि वह स्वयं भी एक हिंदू है, जिसने पाकिस्तान में अपने परिवार को खो दिया है। उसने उन्हें कान के छेद को छिपाने की सलाह दी और भगवान शिव व दुर्गा की मूर्तियाँ दिखाईं। डोभाल ने बाद में कान के छेद को सर्जरी से बंद कराया। डोभाल के पाकिस्तान मिशन की जानकारी बेहद सीमित है, लेकिन माना जाता है कि उन्होंने स्थानीय समुदायों में घुलमिल कर खुफिया जानकारी जुटाई। इसी तरह उन्होंने 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार में स्वर्ण मंदिर के अंदर जाकर आतंकवादियों की योजना का खुलासा किया था। 1999 के कंधार विमान अपहरण मामले में वे वार्ताकार टीम के प्रमुख थे, और 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक में भी उनकी अहम भूमिका रही। कहां के हैं डोभाल डोभाल उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के निवासी हैं। उनका जन्म 20 जनवरी 1945 को हुआ। दिल्ली और राजस्थान में प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. किया। 1968 में वे केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी बने और जल्द ही इंटेलिजेंस ब्यूरो में नियुक्त हुए। उनके जीवन पर अजित डोभाल: द इंडियन जेम्स बॉन्ड नामक पुस्तक भी प्रकाशित हुई है, जिसे प्रदीप कुमार रे ने लिखा है। पाकिस्तान में बिताए गए सात साल और उनके अद्वितीय मिशन आज भी भारतीय खुफिया प्रणाली की रीढ़ माने जाते हैं, और यही कारण है कि पाकिस्तान अब भी उनके नाम से कांप जाता है। हिदायत/ईएमएस 14 जुलाई 2025