अंतर्राष्ट्रीय
14-Jul-2025


काठमांडू,(ईएमएस)। नया सार्क बनाने की चाल चल रहे पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश को झटका लगा है। नेपाल ने साफ कहा है कि वह नए सार्क को बनाए जाने के पक्ष में नहीं है। नेपाल इस समय सार्क का अध्यक्ष है और चाहता है कि सार्क को ही फिर से प्रासंगिक बनाया जाए और उसमें भारत की पूरी भागीदारी हो। नेपाल में ही वर्तमान सार्क का सचिवालय है। इससे पहले पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश की एक बैठक हुई थी। इसके बाद भारत को घेरने के लिए नए सार्क के प्लान का खुलासा हुआ था। हालांकि बाद में पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसका नया सार्क बनाने का कोई इरादा नहीं है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने नेपाल को इस नए सार्क में शामिल करने के लिए नहीं कहा है। इस मामले से जुड़े नेपाली सूत्रों का कहना है कि काठमांडू की चीन और पाकिस्तान के प्लान में शामिल होने की कोई इच्छा नहीं है। इससे पहले आखिरी सार्क शिखर सम्मेलन काठमांडू में 2014 में हुआ था। 19वां सार्क शिखर सम्मेलन 2016 में इस्लामाबाद में होना था। भारत को इसमें शामिल होना था लेकिन पाकिस्तानी आतंकियों के उरी हमले के बाद इस फैसले को स्थगित कर दिया गया था। चीन और पाकिस्तान दोनों मिलकर दक्षिण एशिया के अपने समर्थक देशों के साथ मिलकर एक नया ग्रुप बनाना चाहते हैं जिसमें भारत शामिल नहीं होगा। भूटान भारत का करीबी देश है तो उसके शामिल होने की संभावना भी नहीं है। यह भी संभव है कि चीन और पाकिस्तान भूटान को न्योता नहीं दें। पिछले महीने चीन के कुनमिंग शहर में हुई बैठक के बाद यह साफ हो गया था कि इस नया सार्क बनाने की योजना में चीन पूरी तरह से शामिल है। पाकिस्तान पहले भी चाहता था कि चीन को सार्क में शामिल किया जाए ताकि भारत के प्रभाव को कम किया जाए सके लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश का इरादा आर्थिक एकीकरण, आधारभूत ढांचे का विकास और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने का है। चीन ऐसे समय पर यह कदम उठा रहा है जब नई दिल्ली और बीजिंग के बीच रिश्ते सुधर रहे हैं। हाल ही में कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू हुई है और एससीओ की बैठक में हिस्सा लेने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन की यात्रा पर हैं। सिराज/ईएमएस 14जुलाई25