- जनसुरक्षा कानून सरकार और चहेते उद्योगपतियों के फायदे के लिए बनाया गया है मुंबई, (ईएमएस)। शहरी नक्सलवाद को खत्म करने के नाम पर जनसुरक्षा कानून लाने का सरकार का दावा अत्यंत हास्यास्पद है। यह कानून भीतर से भी और बाहर से भी पूरी तरह काला है, जो आम नागरिकों की आवाज को दबाने वाला है। इसलिए कांग्रेस पार्टी ने शुरुआत से ही इसका विरोध किया है। विधानसभा में सत्ता पक्ष के पास बहुमत होने के कारण उन्होंने इस कानून को बलपूर्वक पारित करवाया है। हालांकि सरकार ने यह कानून पारित करवा लिया है, लेकिन कांग्रेस का विरोध जारी रहेगा और राज्य के प्रत्येक जिले में इस काले कानून की होली जलाई जाएगी, ऐसा महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा। मुंबई के गांधी भवन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए प्रदेशाध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने आगे कहा कि जनसुरक्षा कानून का उद्देश्य ही मूलतः गलत और दमनकारी है। इस कानून का लाभ केवल सरकार और सरकार समर्थक उद्योगपतियों को मिलेगा। धारावी की जमीन हड़पने वाले, गढ़चिरोली जिले की सुरजागढ़ खनिज संपदा को लूटने वाले और शक्तिपीठ महामार्ग पर रेड कार्पेट चाहने वाले उद्योगपतियों को इससे सीधा लाभ पहुंचेगा। वहीं, इस अन्याय का विरोध करने वाले गढ़चिरोली के पर्यावरण कार्यकर्ता, आदिवासी, धारावी के नागरिक, शक्तिपीठ को लेकर आवाज उठाने वाले किसान इन सबको जेल में डाला जाएगा, उनकी संपत्ति जब्त की जाएगी। सरकार की तारीफ करो, नहीं तो चुप रहो और अगर तुम विरोध करोगे, तो जनसुरक्षा कानून की लाठी से तुम्हें चुप कराया जाएगा, यही इस कानून के पीछे की असली मंशा है। संविधान की बात करना, शिव-शाहू-फुले-आंबेडकर के विचारों को आगे बढ़ाना, महात्मा गांधी और तुकडोजी महाराज जैसे महापुरुषों के विचारों को प्रचारित करना क्या यह नक्सलवाद है? इस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सफाई देनी चाहिए। अगर यही विचार नक्सलवादी हैं, तो मैं इन्हें लगातार बोलता रहूंगा मुझे गिरफ्तार करना है तो फडणवीस साहब बेझिझक करें, ऐसा खुला आव्हान हर्षवर्धन सपकाल ने दिया। अगर फडणवीस यह कहते हैं कि वामपंथी विचारधारा ज़हर फैलाती है, तो हम यह भी बताएंगे कि संघ की शाखाओं में किस तरह का ज़हर बोया जाता है, ऐसा भी सपकाल ने कहा। डॉ. नरेंद्र दाभोलकर ने जीवनभर अंधश्रद्धा के खिलाफ काम किया और उनकी हत्या कर दी गई। बहुजनों को शिक्षित करने वाले, कलम से लड़ने वाले कॉम्रेड गोविंद पानसरे और कलबुर्गी की भी हत्या की गई। इन हत्याओं के पीछे जो ताकतें थीं, वही ताकतें आज संभाजी ब्रिगेड के प्रविण गायकवाड पर हमले के पीछे हैं, ऐसा भी हर्षवर्धन सपकाल ने स्पष्ट कहा। संतोष झा- १४ जुलाई/२०२५/ईएमएस