14-Jul-2025


इंदौर (ईएमएस)। फसलों की गिरदावरी प्रक्रिया को पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए भारत सरकार ने डिजिटल क्रॉप सर्वे की शुरुआत की है। इस पहल के तहत, आगामी खरीफ मौसम की फसलों का सर्वेक्षण भी अब डिजिटल माध्यम से किया जाएगा, जिसमें युवाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। खास बात यह है कि किसान अब स्वयं भी अपनी फसलों की ऑनलाइन गिरदावरी कर सकेंगे। यह डिजिटल क्रॉप सर्वे प्रत्येक मौसम में लगभग 45 दिनों तक चलता है। इसमें जियो फेंस (पार्सल लेवल) तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिसके ज़रिए किसान या सर्वेयर खेत में बोई गई फसल की फोटो खींचकर निश्चित अंतराल पर सर्वेक्षण कार्य पूरा करते हैं। खरीफ 2025 के लिए डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण हेतु सर्वेयर के तौर पर पंजीकरण शुरू हो गया है। :: युवाओं के लिए सुनहरा अवसर :: मध्यप्रदेश भू-अभिलेख नियमावली के अनुसार फसल गिरदावरी का कार्य साल में तीन बार (खरीफ, रबी, जायद) सारा ऐप के ज़रिए संपन्न होता है। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए गाँव के स्थानीय युवा या पास की ग्राम पंचायत के निवासी, जिनकी आयु 18 से 40 वर्ष के बीच है, वे एमपी भू-लेख पोर्टल पर पंजीकरण के लिए पात्र हैं। पंजीकरण प्रक्रिया आधार ओटीपी के माध्यम से भू-लेख पोर्टल पर पूरी की जाएगी, जिसके बाद पटवारी द्वारा उन्हें गाँव आवंटित किया जाएगा। युवाओं को सारा ऐप का उपयोग करके सर्वेक्षण कार्य संपादित करना होगा। इस कार्य के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा 8वीं उत्तीर्ण निर्धारित की गई है, साथ ही उनके पास इंटरनेट सुविधा वाला मोबाइल फोन होना अनिवार्य है। :: आर्थिक प्रोत्साहन और सीधा भुगतान :: इस योजना के तहत, स्थानीय युवाओं को उनके योगदान के लिए आर्थिक प्रोत्साहन भी दिया जाएगा। प्रति सर्वे नंबर पहली फसल के लिए 8 रुपये और प्रत्येक अतिरिक्त दर्ज फसल के लिए 2 रुपये (अधिकतम 14 रुपये प्रति सर्वे नंबर) का भुगतान देय होगा। भुगतान की प्रक्रिया संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार द्वारा नियत राशि के सत्यापन के बाद सीधे उनके आधार से जुड़े बैंक खाते में पोर्टल के माध्यम से की जाएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि युवाओं को उनके परिश्रम का सीधा और समय पर लाभ मिले। :: किसान अब स्वयं गिरदावरी कर सकेंगे :: डिजिटल क्रॉप सर्वे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किसान अब स्वयं भी अपनी फसलों की गिरदावरी कर सकेंगे! इसके लिए उन्हें केवल एमपी किसान ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करना होगा। ऐप डाउनलोड करने के बाद, मोबाइल ओटीपी के माध्यम से लॉगिन किया जा सकता है। एमपी किसान ऐप के ज़रिए किसान अपनी फसल की स्व-घोषणा कर सकेंगे। वे जियो फेंस तकनीक का उपयोग करके फसल का फोटो खींचकर जानकारी दर्ज कर सकते हैं। इतना ही नहीं, यदि उन्हें पहले से दर्ज किसी फसल की जानकारी में कोई आपत्ति या दावा करना हो, तो वह भी एमपी किसान ऐप के माध्यम से आसानी से दर्ज किया जा सकेगा। प्रकाश/14 जुलाई 2025