अंतर्राष्ट्रीय
15-Jul-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। मेनोपॉज के बाद महिलाओं में यदि हृदय रोग के साथ अधिक वजन भी हो, तो उनमें स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर) का खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है। यह खुलासा किया है विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक नई स्टडी में। अध्ययन में बताया गया कि हाई बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम पहले से ही अधिक होता है, लेकिन जब इसके साथ हृदय रोग भी मौजूद हो, तो यह खतरा और गंभीर रूप ले सकता है। अध्ययन में खास बात यह रही कि टाइप-2 डायबिटीज का इस खतरे पर कोई विशेष असर नहीं देखा गया। यानी डायबिटीज से ग्रस्त और सामान्य महिलाओं में अधिक बीएमआई से ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम में कोई खास अंतर नहीं पाया गया। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के शोधकर्ता हेंज फ्रीस्लिंग ने कहा कि इस स्टडी के निष्कर्ष भविष्य में ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग प्रक्रिया को और अधिक सटीक और प्रभावी बना सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य के वजन कम करने वाले क्लीनिकल ट्रायल्स में हृदय रोग से पीड़ित महिलाओं को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम पर गहराई से अध्ययन किया जा सके। रिसर्च में यह भी पाया गया कि हर साल प्रति 1 लाख महिलाओं में अधिक वजन और हृदय रोग की मौजूदगी करीब 153 अतिरिक्त स्तन कैंसर के मामले सामने ला सकती है। इससे पहले के अध्ययनों में भी यह बात सामने आई थी कि मोटापा गर्भाशय, लिवर, किडनी और कोलोरेक्टल समेत कम से कम 12 तरह के कैंसर का खतरा बढ़ाता है। एक अन्य स्टडी ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है कि अधिक वजन वाली महिलाओं में न केवल ट्यूमर बड़ा होता है, बल्कि कैंसर अक्सर एडवांस स्टेज में पाया जाता है, जिससे इलाज जटिल हो जाता है। ऐसे में मोटापे और हृदय रोग की रोकथाम ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए अहम साबित हो सकती है।यह रिसर्च यूरोपियन प्रोस्पेक्टिव इन्वेस्टिगेशन इनटू कैंसर एंड न्यूट्रिशन और यूके बायोबैंक के 1.68 लाख से ज्यादा मेनोपॉज महिलाओं के डेटा पर आधारित है। स्टडी की शुरुआत में इन महिलाओं को न तो हृदय रोग था और न ही डायबिटीज। करीब 10 से 11 साल के फॉलो-अप के बाद इनमें से 6,793 महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर हुआ। सुदामा/ईएमएस 15 जुलाई 2025