सरकार का उद्देश्य भारत की समृद्ध स्ट्रीट फूड संस्कृति को लक्षित करना नहीं नई दिल्ली (ईएमएस)। स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि उसने समोसा, जलेबी या किसी अन्य पारंपरिक खाद्य उत्पाद पर चेतावनी लेबल लगाने का कोई निर्देश नहीं दिया है। यह स्पष्टीकरण उस समय आया जब मंत्रालय की हालिया सलाह को लेकर भ्रम फैल गया था, जिसमें छिपी वसा और अतिरिक्त चीनी के सेवन के प्रति जागरूकता बढ़ाने की बात कही गई थी। पिछले महीने 21 जून को स्वास्थ्य सचिव द्वारा सभी सरकारी विभागों, कार्यालयों और स्वायत्त संस्थानों को एक पत्र जारी किया गया था। इसमें कार्यालयों में स्वस्थ भोजन और जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता बोर्ड लगाने और स्टेशनरी पर स्वास्थ्य संदेश छापने की सलाह दी गई थी। इस सलाह को कुछ लोगों ने समोसा और जलेबी जैसे लोकप्रिय भारतीय स्नैक्स के खिलाफ चेतावनी के रूप में देखा, जिससे सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर बहस शुरू हो गई। जवाब में मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह किसी विशेष खाद्य पदार्थ के खिलाफ निर्देश नहीं है, बल्कि यह मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग जैसी गैर-संचारी बीमारियों के खतरे को कम करने के लिए एक सामान्य स्वास्थ्य जागरूकता पहल है। मंत्रालय ने कहा कि सरकार का उद्देश्य भारत की समृद्ध स्ट्रीट फूड संस्कृति को लक्षित करना नहीं है। लैंसेट जीबीडी 2021 के अनुसार, यदि वर्तमान रुझान जारी रहे, तो 2050 तक भारत में मोटापे से पीड़ित वयस्कों की संख्या 44.9 करोड़ तक पहुंच सकती है। सतीश मोरे/16जुलाई ---