राष्ट्रीय
16-Jul-2025


अमरावती,(ईएमएस)। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत तीन-भाषा फॉर्मूले के विरोध के बीच, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने हिंदी का समर्थन किया है। उन्होंने भाषा विवाद पर अपनी राय रखकर पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव का उदाहरण दिया, जिन्होंने 17 भाषाएँ सीखी थीं, जिसमें हिंदी भी शामिल थी। नायडू ने कहा कि पी.वी. नरसिम्हा राव एक महान और दूरदर्शी नेता थे और तेलुगु समुदाय को उन पर गर्व है। उन्होंने बताया कि राव एक छात्र नेता, स्वतंत्रता सेनानी और 17 भाषाओं के विद्वान थे। नायडू ने जोर दिया कि आजकल लोग पूछते हैं कि हिंदी क्यों सीखनी चाहिए, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री ने न केवल हिंदी सीखी, बल्कि 17 भाषाएँ सीखीं। उन्होंने कहा कि राव अपने इस गुण की वजह से इतने महान बने। बात दें कि राव प्रधानमंत्री पद पर पहुँचने वाले दक्षिण भारत के पहले राजनेता थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने लालकिले के प्राचीर से हमेशा हिंदी में ही देश को संबोधित किया। उन्हें 17 भाषाओं का ज्ञान था, जिसमें 11 भारतीय भाषाएँ (तेलुगु, मराठी, तमिल, हिंदी, बंगाली, गुजराती, ओडिया, कन्नड़, संस्कृत और उर्दू) और 6 विदेशी भाषाएँ (अंग्रेजी, फ्रेंच, अरबी, जर्मन, फारसी और स्पेनिश) शामिल थीं। उनके इस ज्ञान के कारण लोग उन्हें आंध्र प्रदेश का बृहस्पति के तौर पर याद करते हैं। उन्होंने तेलुगु साहित्य की कई पुस्तकों का हिंदी में और मराठी साहित्य की कई किताबों का तेलुगु में अनुवाद भी किया। भाषा विवाद के बीच आंध्र प्रदेश का रुख त्रिभाषा फॉर्मूले और हिंदी को लेकर तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में विवाद जारी है। इन राज्यों के कई दलों ने केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया है। हालाँकि, आंध्र प्रदेश ही एक ऐसा राज्य है जहाँ के क्षेत्रीय नेताओं ने हिंदी को लेकर तीखी बयानबाजी नहीं की है। नायडू का यह बयान हिंदी के प्रति आंध्र प्रदेश के अधिक उदारवादी दृष्टिकोण को दर्शाता है। आशीष दुबे / 16 जुलाई 2025