16-Jul-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। राजधानी की सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक के बोझ को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने इनर रिंग रोड पर एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना की शुरुआत की है। यह परियोजना न केवल राजधानी में यातायात की भीड़भाड़ को कम करेगी, बल्कि दिल्लीवासियों के लिए सुगम और तेज यात्रा की सुविधा भी प्रदान करेगी। इस परियोजना की लागत 5,500 से 6,000 करोड़ रुपये के बीच अनुमानित है। बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार के कार्यकाल के भीतर इसे पूरा किया जाएगा। इनर रिंग रोड लगभग 55 किलोमीटर लंबी है। इसका निर्माण 1960 के दशक में शुरू हुआ था। उस समय दिल्ली की जनसंख्या 30 लाख से भी कम थी। इसका मुख्य उद्देश्य मध्य दिल्ली से ट्रैफिक को बाहर की ओर डायवर्ट करना और शहर के भीतरी हिस्सों में यातायात के दबाव को कम करना था। यह सड़क दिल्ली के प्रमुख इलाकों को जोड़ती है और मथुरा रोड, अरबिंदो मार्ग, डीएनडी फ्लाईवे और रोहतक रोड जैसे महत्वपूर्ण मार्गों से यातायात को जोड़ने का काम करती है। हालांकि, मौजूदा समय दिल्ली की जनसंख्या दो करोड़ से अधिक हो चुकी है और शहर में वाहनों की संख्या 1.4 करोड़ को पार कर गई है। इस वजह से इनर रिंग रोड पर ट्रैफिक का दबाव कई गुना बढ़ गया है। खासकर एम्स, मूलचंद, धौला कुआं, आश्रम और आईटीओ जैसे चौराहों पर जहां जाम की स्थिति रोज होती है। दिल्ली सरकार की योजना इनर रिंग रोड पर लगभग 80 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने की है, जिसमें रैंप, लूप और अतिरिक्त लिंक रोड शामिल होंगे। यह कॉरिडोर मौजूदा सड़क के ऊपर खंभों पर बनाया जाएगा जिससे जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता कम होगी। इस प्रीमियम कॉरिडोर को सिग्नल-फ्री और हाईस्पीड मार्ग के रूप में डिजाइन किया जाएगा जो टोल देने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए तेज और सुगम यात्रा सुनिश्चित करेगा। अजीत झा /देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/16/जुलाई /2025