16-Jul-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट ने ऑपरेशन सिंदूर पर पोस्ट करने के मामले में अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ जांच कर रही टीम को फटकार लगाई। साथ ही कोर्ट ने प्रोफेसर को लंबित मामलों को छोड़कर ऑनलाइन पोस्ट करने की अनुमति भी दी। कोर्ट ने प्रोफेसर की सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर पोस्ट मामले में अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ एफआईआर की जांच कर रही टीम को फटकार लगाते हुए पूछा कि वह खुद को गलत दिशा क्यों दे रही है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने 21 मई के आदेश के पैरा 6 में लगाई गई शर्तों के संबंध में पैदा हो रहे भ्रम को स्पष्ट किया। कोर्ट ने कहा हम यह स्पष्ट करते हैं कि याचिकाकर्ता को कोई भी ऑनलाइन पोस्ट/लेख लिखने या अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है। वह सिर्फ विचाराधीन मामलों पर टिप्पणी नहीं कर सकता। गिरफ्तारी के खिलाफ अंतरिम संरक्षण भी जारी रहेगा। पीठ ने जांच टीम की उस काम के लिए दो महीने का समय मांगने पर कड़ी आलोचना की, जो दो दिनों में पूरा हो जाना चाहिए था। पीठ ने एसआईटी को निर्देश दिया है कि वह जांच पूरी करे और चार हफ्तों के भीतर रिपोर्ट तैयार करे। पीठ ने कहा हम एसआईटी को निर्देश देते हैं कि वह दोनों पोस्ट की सामग्री के संबंध में अपनी जांच जल्द से जल्द पूरी करे। इसमें चार हफ्तों से ज्यादा का समय नहीं लगना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने महमूदाबाद का मोबाइल फोन जब्त करने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा गठित एसआईटी की कड़ी आलोचना की। सवाल उठाया कि डिवाइस पर पाई गई सामग्री, जो मामले से अप्रासंगिक है, वह जांच टीम को सौंपी गई जिम्मेदारियों का हिस्सा कैसे थी। पीठ ने कहा हम जांच में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते, लेकिन यह सही दिशा में होनी चाहिए। दो पोस्ट/लेख हैं, जिनके आधार पर दो एफआईआर दर्ज की गईं। हम जांच की भूमिका नहीं लेना चाहते। यह बताने के लिए कि कौन सी लाइन या पैरा उन सामग्रियों पर कैसे अपराध बनता है, हमने एसआईटी से पोस्ट की भाषा की जांच करने को कहा। पीठ ने पूछा हम एसआईटी से बस यह जानना चाहते हैं कि उन्होंने किस उद्देश्य से डिवाइस ज़ब्त किए हैं? हम उन्हें बुलाएंगे। अपनी बात स्पष्ट करते हुए पीठ ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य मामले की जांच के दौरान कोई बिल्कुल अलग अपराध किया हुआ पाया जाता है तो एक अलग प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने महमूदाबाद को कम से कम चार बार तलब करने के लिए भी एसआईटी को फटकार लगाई। अपने आदेश में पीठ ने कहा कि प्रोफेसर पहले ही जांच में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने अपने निजी डिवाइस भी जमा कर दिए हैं, इसलिए एसआईटी को उन्हें तलब नहीं करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मई में ऑपरेशन सिंदूर पर महमूदाबाद की विवादास्पद पोस्ट के लिए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी, लेकिन मामले की जांच रोकने से इनकार कर दिया था। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने प्रोफेसर को उनकी टिप्पणियों के समय के लिए फटकार लगाई थी और इसे सस्ती लोकप्रियता पाने का प्रयास बताया था। अजीत झा /देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/16/जुलाई /2025