मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में लगातार आठवीं बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब अपने नाम किया है। इंदौर ने 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की सुपर स्वच्छ लीग सिटीज कैटेगरी में ओवरऑल पहला स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि न केवल इंदौरवासियों के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह शहर की स्वच्छता के प्रति प्रतिबद्धता, नागरिकों की सक्रिय भागीदारी और नगर निगम के बेहतरीन नवाचारों का परिणाम है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत आयोजित इस सर्वेक्षण में इंदौर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि स्वच्छता केवल एक आदत नहीं, बल्कि एक संस्कृति है। इंदौर पूर्व में सात बार देश के स्वच्छतम शहर का पुरस्कार प्राप्त कर चुका है। उज्जैन को 3 से 10 लाख जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में स्वच्छ लीग पुरस्कार प्राप्त हुआ, जो गर्व का विषय है। इसी प्रकार 20 हजार से कम आबादी वाले नगरों की श्रेणी में बुधनी नगर को भी सम्मानित किया गया। स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में मध्यप्रदेश के अन्य शहरों ने भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। इंदौर के साथ भोपाल, देवास, शाहगंज, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन एवं बुधनी को भी विभिन्न श्रेणियों में स्वच्छता पुरस्कार मिला है। बाबा महाकाल की उज्जैन को 3 से 10 लाख जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में शीर्ष स्थान मिला है। 20 हजार से कम आबादी वाले शहरों में बुधनी सर्वश्रेष्ठ शहर बन कर उभरा है जबकि 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले स्वच्छ शहरों में भोपाल दूसरे, जबलपुर पांचवें और ग्वालियर 14वें स्थान पर रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में स्वच्छता में प्रॉमिसिंग शहर का स्टेट अवार्ड ग्वालियर को मिला है। इसी तरह से 50 हजार से तीन लाख जनसंख्या वाले स्वच्छ शहरों में देवास प्रथम स्थान पर रहा। मध्यप्रदेश ने कुल आठ राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किए जिससे राज्य ने स्वच्छता के क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छ भारत मिशन की प्रेरणा और जनभागीदारी इस सफलता का आधार रहा। इंदौर की स्वच्छता की सफलता का श्रेय शहर के कचरा प्रबंधन, जन जागरूकता और नवाचारों को जाता है। इंदौर के स्वच्छता मॉडल ने शहर को कचरा-मुक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इंदौर में खुले में कचरा फेंकना पूर्णतः प्रतिबंधित है। शहर में कचरा डंपिंग को शून्य करने के लिए सभी कचरे की प्रोसेसिंग की जाती है। गीले कचरे से खाद बनाई जाती है, जबकि सूखे कचरे को रिसाइकिल कर अनेक उत्पाद बनाए जाते हैं। इंदौर की सफलता का सबसे बड़ा आधार जनभागीदारी भी है। स्वच्छता के प्रति नागरिकों का जुनून और सामूहिक प्रयास इस मॉडल को अनूठा बनाते हैं। नगर निगम ने विभिन्न जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को स्वच्छता के प्रति प्रेरित किया है। इंदौर ने कचरा प्रबंधन के लिए हाई-टेक सिस्टम विकसित किया है। कचरा संग्रहण वाहनों की हर गतिविधि को जीपीएस के माध्यम से ट्रैक किया जाता है। एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियंत्रण कक्ष से हर सेकंड की गतिविधि की निगरानी की जाती है।इंदौर में एशिया का सबसे बड़ा बायो-मीथेन गैस प्लांट स्थापित किया गया है जो गीले कचरे से बायो-गैस और खाद उत्पादन करता है। इसके अतिरिक्त, भारत का पहला पीपीपी मॉडल आधारित हरित कचरा प्रसंस्करण संयंत्र भी इंदौर में स्थापित है जो लकड़ी और पत्तियों से पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद बनाता है।एक दौर ऐसा भी था जब इंदौर की सड़कों पर कचरा देखा जाता था लेकिन आज यह शहर कचरे से सीएनजी और खाद बनाने में अग्रणी है। इंदौर नगर निगम ने कचरे के शत-प्रतिशत पृथक्करण और रीसाइक्लिंग को सुनिश्चित किया है।नगर निगम ने स्वच्छता के लिए कई नवाचार किए हैं। प्रत्येक घर से कचरा एकत्र करने के लिए उसने अनेक वाहन तैनात किए जिसने गीले, सूखे और खतरनाक कचरे को अलग करने की प्रक्रिया को जन-जन तक पहुंचाया। भारत के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में इंदौर ने न केवल देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत इंदौर ने लगातार आठ वर्षों (2017-2024) तक स्वच्छता सर्वेक्षण में पहला स्थान हासिल किया है जो अपने आप में मध्यप्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। आज इंदौर का स्वच्छता मॉडल ने जनभागीदारी, तकनीकी नवाचार और प्रशासनिक दक्षता का एक अनूठा संगम बना है। यह मॉडल न केवल भारत के अन्य शहरों के लिए भी एक प्रेरणा बन चुका है। इंदौर नगर निगम और जिला प्रशासन ने प्रतिदिन स्वच्छता को प्राथमिकता देने का काम किया है। नगर निगम ने कचरा प्रबंधन के लिए नवाचारी योजनाएँ बनाई और उन्हें प्रभावी ढंग से लागू किया जिससे इंदौर की जनता ने स्वच्छता को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाया। इंदौर ने न केवल स्वच्छता के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, बल्कि यह अन्य शहरों के लिए भी एक प्रेरणा बन गया है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में सुपर स्वच्छता लीग में शीर्ष स्थान और लगातार आठवीं बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब जीतना इंदौर की मेहनत, समर्पण और सामूहिक प्रयासों का प्रमाण है। यह शहर न केवल स्वच्छता, बल्कि नागरिकों की जागरूकता और प्रशासनिक कुशलता का प्रतीक बन चुका है। देश की सर्वश्रेष्ठ राजधानी के रूप में भोपाल ने स्वच्छता के क्षेत्र में भी आदर्श प्रस्तुत किया है। विभिन्न श्रेणियों में ग्वालियर, देवास, शाहगंज और जबलपुर भी पुरस्कृत किए गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता का जो संकल्प लिया है, उसमें मध्यप्रदेश कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। उन्होंने प्रदेशवासियों का आह्वान किया कि स्वच्छता सर्वेक्षण के इस मापदंड के आधार पर अपने घर, मोहल्ले, कॉलोनी और नगर को स्वच्छ रखें और इस आदर्श जीवन शैली को दुनिया के बीच प्रदर्शित करने का प्रयास करें। इंदौर का स्वच्छता मॉडल न केवल एक शहर की स्वच्छता की कहानी है बल्कि यह दर्शाता है कि सामूहिक इच्छाशक्ति, तकनीकी नवाचार और प्रशासनिक दृढ़ता के साथ कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। यह मॉडल न केवल स्वच्छ भारत मिशन का प्रतीक है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास का भी एक जीवंत उदाहरण है। यह मॉडल पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है कि स्वच्छता केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक जीवनशैली हो सकती है। इंदौर ने आठवीं बार स्वच्छता रैंकिंग में देश में शीर्ष स्थान पर रहकर यह साबित कर दिया है कि यदि इरादे मजबूत हों तो देश का कोई भी इलाका कचरे के ढेर से निकलकर स्वच्छता की मिसाल बन सकता है। ईएमएस/18/07/2025