वाशिंगटन (ईएमएस)। हमारी धरती अनजाने में अंतरिक्ष में अपने होने का संदेश फैला रही है। यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं बल्कि ठोस वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित चेतावनी है। यह खुलासा वैज्ञानिकों की एक हालिया रिसर्च में हुआ है। यूनाइटेड किंगडम के डरहम शहर में आयोजित रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की नेशनल एस्ट्रोनॉमी मीटिंग 2025 में यह अध्ययन पेश किया गया। शोधकर्ताओं के अनुसार, हवाईअड्डों और सैन्य प्रतिष्ठानों में इस्तेमाल होने वाले शक्तिशाली रडार सिस्टम हर वक्त रेडियो तरंगें छोड़ते रहते हैं, जो पृथ्वी की परिधि पार करके अंतरिक्ष में 200 प्रकाशवर्ष दूर तक फैल चुकी हैं। इन तरंगों की ताकत इतनी ज्यादा होती है कि यदि किसी अन्य ग्रह पर कोई उन्नत सभ्यता मौजूद है और उनके पास हमारे जैसे रेडियो टेलीस्कोप हैं, तो वे धरती की मौजूदगी का संकेत साफ तौर पर पकड़ सकते हैं। वैज्ञानिकों ने पास के सितारों जैसे बार्नार्ड्स स्टार और एयू माइक्रोस्कोपि पर फोकस किया और पाया कि एयरपोर्ट रडार से निकलने वाली तरंगों की सामूहिक शक्ति लगभग 2गुण10 वॉट्स होती है। इतनी तीव्र ऊर्जा का सिग्नल हमारे पड़ोस के तारों तक आसानी से पहुंच सकता है और वहां से इसे डिकोड करना भी संभव है। उदाहरण के लिए अमेरिका का ग्रीन बैंक टेलीस्कोप इसी तरह के सिग्नल आराम से पकड़ सकता है। इससे भी ज्यादा चिंताजनक स्थिति सैन्य रडार की है। ये रडार कहीं ज्यादा केंद्रित और शक्तिशाली होते हैं, जिनका उत्सर्जन विशेष दिशा में 1गुण10 वॉट्स तक पहुंच जाता है। इतनी ताकतवर और विशिष्ट तरंगें अंतरिक्ष में किसी भी विकसित सभ्यता के लिए यह साफ संदेश बन सकती हैं कि धरती पर कोई उन्नत प्रौद्योगिकी वाला बुद्धिमान जीवन मौजूद है। इन सिग्नलों की कृत्रिम प्रकृति इतनी स्पष्ट होती है कि उन्हें देखने वाला यह तुरंत समझ सकता है कि यह कोई प्राकृतिक घटना नहीं बल्कि तकनीकी गतिविधि का परिणाम है। मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक माइकल गैरेट, जो इस रिसर्च के सह-लेखक हैं, का कहना है कि यह अध्ययन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमारी तकनीक अंतरिक्ष में किस तरह का प्रभाव छोड़ रही है और एलियंस हमें किस नजर से देख सकते हैं। उनके मुताबिक यह समय है कि हम अपने रेडियो सिग्नलों को लेकर अधिक जिम्मेदार और सतर्क हों। सुदामा/ईएमएस 18 जुलाई 2025