नई दिल्ली (ईएमएस)। ‘’मोदी सरकार ने सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के बीच की असंगत बाधाओं को समाप्त किया, जिससे सभी क्षेत्रों से सर्वोत्तम प्रथाओं का उपयोग संभव हुआ।” यह बात केंद्रीय प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यहां सिविल सेवा अधिकारी संस्थान (सीएसओआई) में ‘सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों के लिए राष्ट्रीय मानक 2.0’ (एनएससीएसटीआई 2.0) के शुभारंभ के दौरान कही। क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) द्वारा विकसित यह संशोधित संरचना भविष्य के लिए तैयार सिविल सेवा के निर्माण के भारत के अभियान में एक लंबी छलांग है। डॉ. जितेंद्र ने शुभारंभ के दौरान कहा, “यह मील का पत्थर इसलिए संभव हुआ है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा नई सोच के लिए हमें प्रोत्साहित किया है और अतीत के वर्जनाओं को तोड़ने के लिए सशक्त बनाया है। एनएससीएसटीआई 2.0 केवल एक अनुपालन उपकरण नहीं है बल्कि यह संस्थागत उत्कृष्टता के लिए एक परिवर्तनकारी कदम है।” मंत्री ने प्रकाश डाला कि यह संरचना किस प्रकार सहकारी एवं प्रतिस्पर्धी संघवाद का समर्थन करता है और संस्थानों को स्व-मूल्यांकन और उन्नयन करने में सक्षम बनाता है। उन्होंने कहा, जिस प्रकार आकांक्षी जिला कार्यक्रम ने पिछड़े जिलों को उम्मीदों से आगे बढ़ने में सक्षम बनाया उसी प्रकार एनएससीएसटीआई 2.0, सीएसटीआई को आत्मनिरीक्षण, नवाचार एवं उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है। उन्नत एनएससीएसटीआई 2.0 संरचना सिविल सेवा प्रशिक्षण के लिए ज्यादा परिष्कृत, समावेशी तथा भविष्य के लिए तैयार दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इसे सरल एवं सुव्यवस्थित बनाया गया है, मूल्यांकन मानदंडों की संख्या 59 से घटाकर 43 की गई है, जिससे ज्यादा स्पष्टता प्राप्त हुई है और परिणाम-आधारित मूल्यांकन पर ज्यादा ध्यान केंद्रीत किया गया है। यह संरचना क्षेत्र-आधारित है जिसे 160 से ज़्यादा सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों (सीएसटीआई), मूल्यांकनकर्ताओं और क्षेत्र विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श कर तैयार किया गया है, जो इसे वास्तविक दुनिया की प्रशिक्षण चुनौतियों एवं आवश्यकताओं के साथ मेल खाता है। इसका समावेशी डिज़ाइन इसे सरकार के सभी स्तरों केंद्र, राज्य और शहरी स्थानीय निकायों के प्रशिक्षण संस्थानों के अनुकूल बनाता है। संदीप/देवेंद्र/नई दिल्ली/ईएमएस/18/जुलाई/2025