19-Jul-2025
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वाशिंगटन (ईएमएस)। खगोल वैज्ञानिकों ने दशकों पुराने ‘हबल टेंशन’ नामक रहस्य को सुलझाने की दिशा में नई उम्मीद जगा दी है। ‘हबल टेंशन’ उस उलझन को कहते हैं जिसमें ब्रह्मांड के विस्तार की दर को दो अलग-अलग तरीकों से मापा जाता है और दोनों के नतीजे मेल नहीं खाते। एक तरीका बिग बैंग के बाद बचे कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड (सीएमबी) रेडिएशन से औसत विस्तार दर निकालता है जबकि दूसरा तरीका पास की आकाशगंगाओं के रेडशिफ्ट और सुपरनोवा के आधार पर स्थानीय विस्तार दर बताता है। दोनों के नतीजों में अंतर ही ‘हबल टेंशन’ कहलाता है, जिसने वैज्ञानिकों को वर्षों से परेशान किया है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ के वैज्ञानिक इंद्रनील बैनिक और उनकी टीम ने दावा किया है कि इसका सबसे सरल और मजबूत कारण यह हो सकता है कि हम एक विशाल कम घनता वाली जगह में मौजूद हैं। बैनिक इसे ‘हबल बबल’ कहते हैं। उनके अनुसार अगर हमारी पृथ्वी लगभग 2 अरब प्रकाशवर्ष व्यास वाली ऐसी जगह में है जहां ब्रह्मांडीय घनता औसत से 20 प्रतिशत कम है, तो इस खाली जगह से बाहर की चीजें तेजी से फैलती हुई नजर आएंगी। इससे पास की आकाशगंगाओं की गति सामान्य से तेज दिखती है और हमें लगता है कि ब्रह्मांड हमारी जगह से तेजी से फैल रहा है। बैनिक की टीम ने इस थ्योरी की पुष्टि के लिए ‘बैरियन अकॉस्टिक ऑस्सिलेशन’ (बीएओ) नामक बिग बैंग के समय की ध्वनि-तरंगों का विश्लेषण किया। ये तरंगें ब्रह्मांड के विस्तार का एक तरह का मानक पैमाना होती हैं। उन्होंने पाया कि अगर हम सचमुच एक खाली जगह में हैं तो बीएओ का कोण और रेडशिफ्ट थोड़ा बदल जाता है और डेटा में यही संकेत साफ दिखे। उन्होंने दावा किया कि पिछले 20 सालों के सभी बीएओ डेटा को मिलाकर की गई गणना इस ‘हबल बबल’ मॉडल को बिना बबल वाले मॉडल से 10 करोड़ गुना बेहतर बताती है। यह सिद्धांत बताता है कि ब्रह्मांड हर जगह एकसमान नहीं है, जबकि अब तक प्रचलित लैम्ब्डा कोल्ड डार्क मैटर (एलसीडीएम) मॉडल मानता था कि ब्रह्मांड हर दिशा में लगभग एक जैसा है। इस नई थ्योरी ने वैज्ञानिकों को पुराने मॉडल पर फिर से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। सुदामा/ईएमएस 19 जुलाई 2025