20-Jul-2025
...


वारसॉ (ईएमएस)। जब भी धरती के नीचे दबी किसी ऐतिहासिक चीज़ की खोज होती है, तो अतीत की अनसुनी कहानियां सामने आने लगती हैं। हाल ही में पोलैंड में ऐसा ही एक दिलचस्प मामला सामने आया, जहां वैज्ञानिकों को पिरामिडनुमा कब्रों का एक रहस्यमयी ढांचा मिला है। यह खोज सिर्फ एक संरचना नहीं है, बल्कि यह फनेलबीकर संस्कृति की पहली बार सेरेमिक युग की लंबे समय से गुम एक परंपरा का प्रमाण है। यह खोज अदम मिकिएविच विश्वविद्यालय की एक टीम ने की, जो जनरल डेजीडेरी चलापोवस्की लैंडस्केप पार्क क्षेत्र में फील्डवर्क कर रही थी। टीम ने एडवांस रिमोट सेंसिंग तकनीक और एरियल लेजर स्कैनिंग की मदद से इन कब्रों की मौजूदगी का पता लगाया। इन कब्रों की बनावट सामान्य कब्रों से काफी अलग है। इनका आकार ट्रैपेजॉइड जैसा है पूर्व की ओर से चौड़ी और ऊंची, जबकि पश्चिम की ओर जाकर यह धीरे-धीरे पतली और नुकीली हो जाती हैं, जैसे कोई तीर। कुछ कब्रें तो 200 मीटर तक लंबी हैं, हालांकि इनकी ऊंचाई 4 मीटर से अधिक नहीं होती। इन कब्रों को विशाल पत्थरों से ढंका गया था। कुछ पत्थर तो 10 टन तक भारी थे, जिन्हें यहां तक लाना और सेट करना अपने आप में हैरान करने वाला काम है। आज उन कब्रों के मुख्य प्रवेश द्वार पर लगे बड़े पत्थर नहीं हैं, जिनके बारे में अनुमान है कि सदियों पहले स्थानीय लोगों ने उन्हें तोड़कर अन्य कामों में इस्तेमाल कर लिया होगा। संरक्षण विशेषज्ञ आर्टुर गोलिस का मानना है कि ये कब्रें समाज के महान लोगों के अंतिम संस्कार के लिए बनाई गई थीं। यहां शवों को खड़ी मुद्रा में दफनाया जाता था, उनके साथ कुल्हाड़ी, मिट्टी के बर्तन जैसी चीज़ें भी रखी जाती थीं जो उनकी जीवनशैली और आध्यात्मिक विश्वासों का प्रतीक हैं। हालांकि अभी तक किसी भी कब्र से कोई कंकाल नहीं मिला है, लेकिन खोजकर्ता उम्मीद कर रहे हैं कि भविष्य की खुदाइयों में हड्डियों के अवशेष मिल सकते हैं। इस क्षेत्र में मिली कलाकृतियां फनेलबीकर संस्कृति की रहन-सहन और रिवाजों की अहम जानकारी देने में सहायक हो सकती हैं। मालूम हो कि हजारों साल पहले की दुनिया कैसी रही होगी, यह आज भी रहस्य बना हुआ है। कुछ सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब ढूंढ पाना नामुमकिन सा लगता है। सुदामा/ईएमएस 20 जुलाई 2025