21-Jul-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। अक्सर लोगों का मानना होता है कि जो व्यक्ति खर्राटे ले रहा है, वह गहरी नींद में है। विशेषज्ञों के अनुसार यह धारणा पूरी तरह से गलत है। जानकारों का कहना है कि खर्राटे लेना सिर्फ एक आदत नहीं बल्कि एक मेडिकल डिसऑर्डर हो सकता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे नाक में रुकावट, साइनस की समस्या या स्लीप एपनिया जो कि सबसे खतरनाक स्थिति मानी जाती है। खर्राटों का प्रभाव केवल व्यक्ति की नींद तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इससे उसके पारिवारिक रिश्तों पर भी असर पड़ता है। आजकल स्लीप डाइवोर्स जैसी बातें भारत में भी सुनाई देने लगी हैं, जहां पति-पत्नी खर्राटों की वजह से अलग-अलग सोने को मजबूर हो जाते हैं। इससे न केवल मानसिक तनाव बढ़ता है बल्कि रिश्तों में भी दूरी आने लगती है। अगर खर्राटे स्लीप एपनिया की वजह से हो रहे हैं और समय रहते उसका इलाज नहीं किया गया, तो यह स्थिति आगे चलकर हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज़, स्ट्रोक, अनियंत्रित डायबिटीज़ और हार्ट रिदम की गड़बड़ी जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसे नजरअंदाज करना जानलेवा हो सकता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से खर्राटे ले रहा है, तो इसे मज़ाक या सामान्य समस्या समझकर न टालें। नींद से जुड़ी मेडिकल जांच करवाना जरूरी है ताकि सही कारण का पता चल सके और समय पर इलाज शुरू हो सके। सही डायग्नोसिस और चिकित्सा की मदद से न केवल नींद की गुणवत्ता सुधारी जा सकती है बल्कि संभावित खतरनाक बीमारियों से भी बचाव किया जा सकता है। सुदामा/ईएमएस 21 जुलाई 2025