मुंबई, (ईएमएस)। भले ही शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) मराठी भाषा को लेकर आक्रामक रहे मगर हकीकत यही बयान कर रहे हैं कि मुंबई में हिंदी को ही तरजीह दी जाती है। जी हाँ मुंबई में महानगरपालिका स्कूलों के माध्यम को लेकर एक महत्वपूर्ण आँकड़ा सामने आया है, जो शैक्षिक बदलाव को उजागर करता है। यह देखा गया है कि मुंबई मनपा के स्कूलों में हिंदी माध्यम के छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय रूप से दोगुनी वृद्धि हुई है, जबकि मराठी माध्यम के स्कूलों में छात्रों की संख्या अधिक होने के बावजूद संख्या कम है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, मुंबई मनपा में मराठी माध्यम के स्कूलों की संख्या 262 है, लेकिन इन स्कूलों में 33 हजार 729 छात्र पढ़ रहे हैं। इसके विपरीत, हिंदी माध्यम के स्कूलों की संख्या 220 है, जो मराठी माध्यम के स्कूलों से 42 कम है। इसके बावजूद, हिंदी माध्यम के छात्रों की संख्या 67 हज़ार 417 है। इसका मतलब है कि हिंदी माध्यम के स्कूल मराठी माध्यम के स्कूलों से कम संख्या में होने के बावजूद, इनमें छात्रों की संख्या मराठी माध्यम के छात्रों से दोगुनी है। यानि ये आँकड़े स्पष्ट करते हैं कि मुंबई मनपा के स्कूलों में हिंदी माध्यम को काफ़ी प्राथमिकता मिल रही है। इसी वजह से मुंबई में छात्रों का स्थानीय भाषा के अलावा अन्य भाषा माध्यमों की ओर रुझान बढ़ रहा है। दूसरे राज्यों से आने वाले हिंदी भाषियों की संख्या भी इसमें झलकती है। उधर विभिन्न अंग्रेज़ी माध्यमों के 149 स्कूल हैं, जिनमें छात्रों की संख्या 88 हज़ार 295 है। आपको बता दें कि न सिर्फ़ हिंदी, बल्कि मुंबई में उर्दू माध्यम के स्कूलों की स्थिति भी मराठी स्कूलों से बेहतर है, जैसा कि इन आँकड़ों से पता चलता है। मुंबई में 188 उर्दू माध्यम के स्कूल हैं और इन स्कूलों में 64 हज़ार 391 छात्र पढ़ रहे हैं। हालाँकि उर्दू माध्यम के स्कूलों की संख्या मराठी और हिंदी दोनों माध्यमों से कम है, लेकिन छात्रों की संख्या मराठी माध्यम से काफ़ी ज़्यादा है। ये आँकड़े मुंबई में शिक्षा के क्षेत्र में एक नए रुझान को दर्शाते हैं। बहरहाल इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में मुंबई में शिक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाएँगे। स्वेता/संतोष झा- २१ जुलाई/२०२५/ईएमएस