21-Jul-2025
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गुना (ईएमएस)। आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी अगर किसी गांव में प्रसव के तुरंत बाद एक मां को अपने नवजात शिशु के साथ बैलगाड़ी में लादकर एंबुलेंस तक ले जाया जाए, तो यह न केवल चिंता का विषय है, बल्कि व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल है। गुना जिले की बमोरी विधानसभा के ग्राम गमरा का डेरा से सामने आई ऐसी ही एक तस्वीर ने फिर से ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं की दुर्दशा को उजागर कर दिया है। ग्राम गमरा का डेरा में बीते रोज एक महिला की घर पर डिलीवरी हुई। प्रसव के बाद जब परिजनों ने उसे अस्पताल ले जाने के लिए 108 एंबुलेंस सेवा को कॉल किया, तो वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाया। वजह गांव तक पक्की सडक़ नहीं है, और बरसात के चलते रास्ते में कीचड़ और दलदल इतना ज्यादा हो गया कि एंबुलेंस कुछ किलोमीटर पहले ही रुक गई। इसके बाद प्रसव पीडि़ता को नवजात बच्चे के साथ बैलगाड़ी में बैठाकर ग्रामीणों ने एंबुलेंस तक पहुंचाया। यह पूरी घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जो ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं और सडक़ सुविधा की बदहाली को बयां करता है। गमरा का डेरा में करीब 30 से 40 घरों की छोटी सी आबादी है। यहां के ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के दिनों में यह स्थिति और भी भयावह हो जाती है। गर्भवती महिलाओं, बीमार लोगों और बुजुर्गों को गांव से बाहर अस्पताल तक ले जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं या समय पर इलाज न मिलने से हालात बिगड़ जाते हैं। यह विडंबना और भी गहरी तब हो जाती है जब यह ध्यान में आता है कि बमोरी विधानसभा से निर्वाचित विधायक दो बार मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वहीं, इस क्षेत्र के वर्तमान सांसद केंद्र सरकार में मंत्री पद पर आसीन हैं। बावजूद इसके, गमरा का डेरा जैसे गांव आज भी पक्की सडक़ जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि जल्द से जल्द गांव तक पक्की सडक़ का निर्माण कराया जाए, ताकि आपात स्थिति में एंबुलेंस जैसी जरूरी सेवाएं बिना बाधा गांव तक पहुंच सकें। वहीं, इस वीडियो के वायरल होने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि जिम्मेदार अब नींद से जागेंगे और गमरा का डेरा की इस परेशानी का स्थायी समाधान खोजेंगे। -सीताराम नाटानी (ईएमएस)