-हर साल 26 जुलाई को सैनिक और स्थानीय लोग करते हैं पुष्पांजलि अर्पित पटना,(ईएमएस)। मई 1999 में पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल के बटालिक सेक्टर में घुसपैठ की थी। बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन कश्मीर में तैनात थी और वह इस चुनौती के लिए तैयार थी। 28 मई को मेजर एम सर्वानन अपनी टुकड़ी के साथ 14,229 फीट की ऊंचाई पर पेट्रोलिंग करने निकले। अचानक पाकिस्तानी सैनिकों ने गोलीबारी शुरू कर दी तब मेजर सर्वानन ने 90 एमएम रॉकेट लॉन्चर उठाया और दुश्मन के ठिकानों पर ताबड़तोड़ हमला बोल दिया। उनके निशाने से दो घुसपैठिए ढेर हो गए, लेकिन इस जंग में मेजर सर्वानन ने पहला बलिदान दिया। उनकी शहादत के साथ ही कारगिल युद्ध शुरु हो गया। बिहार रेजिमेंट के सैनिकों ने अद्भुत साहस दिखाया। इनके साथ बिहार के जांबाज-मुजफ्फरपुर के सिपाही प्रमोद कुमार, पटना के नायक गणेश प्रसाद यादव और सिपाही ओमप्रकाश गुप्ता ने अग्रिम पंक्ति में लड़ते हुए अपनी वीरता से इतिहास रच दिया। कारगिल युद्ध में बिहार रेजिमेंट के 18 सपूतों के बलिदान दिया और 26 जुलाई 1999 को टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने का गौरव दिलाया। 26 जुलाई 1999 को जब कारगिल की बर्फीली चोटियों पर तिरंगा लहराया तो यह सिर्फ एक युद्ध की जीत नहीं थी, बल्कि बिहार रेजिमेंट के 18 वीर सपूतों की शहादत का गौरव था। ऑपरेशन विजय के तहत चली इस जंग में बिहार के सैनिकों ने अदम्य साहस और बलिदान से दुश्मन को धूल चटाई। मेजर एम सर्वानन से लेकर नायक शत्रुघ्न सिंह तक, इन जांबाजों ने इतिहास रचा। आज यानी 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ पर पटना का कारगिल चौक इन शहीदों की अमर गाथा को गर्व से बयां करता है जो नई पीढ़ी को प्रेरित करता है। दरअसल 1999 की गर्मियों में जब कश्मीर की वादियां शांत थीं तब पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया था। यह एक सुनियोजित साजिश थी जिसका जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया। इस युद्ध में बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन ने बटालिक सेक्टर में मोर्चा संभाला, जहां दुश्मन ने ऊंची चोटियों पर कब्जा जमाया था। बिहार रेजिमेंट के एक और नायक शत्रुघ्न सिंह की गाथा तो हर भारतीय के रोंगटे खड़े कर देती है। जुब्बार पोस्ट पर दुश्मन की गोलियों से जख्मी होने के बावजूद, वह 11 दिनों तक रेंगकर तीन किलोमीटर पीछे अपने पोस्ट पर लौटे। उनके पैर और कमर में गोलियां लगी थीं फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। इस अदम्य साहस के लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया। इसी तरह समस्तीपुर के नायक दिलीप सिंह ने 28 दिनों तक जुब्बार पोस्ट पर जंग लड़ी और शहीद हो गए। उनकी वीरता के लिए उन्हें सूबेदार के पद पर प्रोमोशन दिया गया। बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन का नेतृत्व तत्कालीन कर्नल ओपी यादव ने किया था। उन्होंने बटालिक सेक्टर में दुश्मन से कई चौकियों को मुक्त कराया। उनकी रणनीति और सैनिकों के अदम्य साहस ने टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने का रास्ता साफ किया। इस युद्ध में बिहार के 18 सैनिकों ने शहादत दी जिनमें पटना के नायक गणेश प्रसाद यादव और मुजफ्फरपुर के सिपाही अरविंद कुमार पांडेय जैसे नाम शामिल हैं। इन शहीदों की वीरता को सम्मान देने के लिए मेजर सर्वानन और नायक गणेश प्रसाद यादव को मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया। कारगिल युद्ध में बिहार के 18 बलिदानियों के शहादत दी जिसमें नायक गणेश प्रसाद यादव (पटना), सिपाही अरविंद कुमार पांडेय (मुजफ्फरपुर), सिपाही अरविंद पांडेय (पूर्वी चंपारण), सिपाही शिवशंकर प्रसाद गुप्ता (औरंगाबाद), लांस नायक विद्यानंद सिंह (भोजपुर) सिपाही हरदेव प्रसाद सिंह (नालंदा), नायक बिशुनी राय (सारण), नायक सूबेदार नागेश्वर महतो (रांची), सिपाही रम्बू सिंह (सिवान) गनर युगंबर दीक्षित (पलामू), मेजर चंद्रभूषण द्विवेदी (शिवहर), हवलदार रतन कुमार सिंह (भागलपुर), सिपाही रमण कुमार झा (सहरसा), सिपाही हरिकृष्ण राम (सिवान), गनर प्रभाकर कुमार सिंह (भागलपुर), नायक सुनील कुमार सिंह (मुजफ्फरपुर), नायक नीरज कुमार (लखीसराय), लांस नायक रामवचन राय (वैशाली)। पटना में कारगिल चौक का निर्माण इन वीरों की स्मृति को अमर करने का एक प्रयास है। गांधी मैदान के पास स्थित यह चौक बिहार रेजिमेंट के सैनिकों के बलिदान का प्रतीक है। 2000 के दशक की शुरुआत में बिहार सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस स्मारक को बनाने का फैसला किया था, ताकि कारगिल युद्ध के शहीदों की गाथा को हर पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके। कारगिल चौक पर हर साल 26 जुलाई को सैनिकों, अधिकारियों और स्थानीय लोगों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित की जाती है। यह स्थान न केवल शहीदों को श्रद्धांजलि देने का केंद्र है, बल्कि नई पीढ़ी को देशभक्ति और बलिदान की भावना से प्रेरित करता है। सिराज/ईएमएस 26जुलाई25