नई दिल्ली (ईएमएस)। मैनचेस्टर टेस्ट के दौरान जब इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजी की धज्जियां उड़ाईं, तब हर किसी को स्पिनर कुलदीप यादव की कमी खली। सीरीज में अब तक एक भी मैच न खेलने वाले कुलदीप की चर्चा हर मुकाबले से पहले होती है, लेकिन टीम चयन में उन्हें लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में तीन मैचों के बाद भारत 2-1 से पीछे है और चौथे टेस्ट में इंग्लैंड ने पहली पारी में 544 रन ठोक डाले, जिससे कुलदीप की गैरमौजूदगी पर सवाल और भी तेज हो गए। तीसरे दिन का खेल खत्म होने के बाद गेंदबाजी कोच मोर्ने मोर्कल ने कुलदीप को न खिलाने की असल वजह स्पष्ट की। मोर्कल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि टीम प्रबंधन गेंदबाजी से ज्यादा बल्लेबाजी लाइन-अप को मजबूत करने पर ध्यान दे रहा है। उनका कहना था कि टीम ने पिछले मैचों में कई बार बल्लेबाजी में जल्दी विकेट गंवाए हैं, इसलिए संतुलन बनाए रखने के लिए लंबे बल्लेबाजी क्रम की जरूरत महसूस की गई। उन्होंने माना कि कुलदीप विश्वस्तरीय गेंदबाज हैं और शानदार फॉर्म में हैं, लेकिन फिलहाल टीम संयोजन में उन्हें फिट कर पाना मुश्किल हो रहा है। गेंदबाजों के चोटिल होने के बावजूद भी कुलदीप को मौका न मिलने से यह और स्पष्ट होता है कि चयन की प्राथमिकता बल्लेबाजी गहराई है न कि गेंदबाजी गुणवत्ता। मैनचेस्टर की परिस्थितियों में जहां स्पिन को मदद मिल रही थी, कुलदीप जैसे कलाई के स्पिनर उपयोगी साबित हो सकते थे। इसके बावजूद शार्दुल ठाकुर को चुना गया, जिन्हें पूरे 135 ओवर में सिर्फ 11 ओवर ही दिए गए। साथ ही अंशुल कंबोज को डेब्यू कराना यह दिखाता है कि चयनकर्ताओं की रणनीति में कुलदीप के लिए जगह बनाना प्राथमिकता नहीं रही। मोर्कल ने स्वीकार किया कि विकेट सूखा है और स्पिन हो रही है, लेकिन उनका मानना है कि जब तक शीर्ष छह बल्लेबाजों से स्थिरता नहीं मिलती, तब तक कुलदीप जैसे विशेषज्ञ गेंदबाज को मौका देना मुश्किल रहेगा। कुलदीप की उपेक्षा ने टीम चयन की रणनीति को कठघरे में खड़ा कर दिया है, खासकर तब जब गेंदबाजों से उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं मिल रहा। डेविड/ईएमएस 27 जुलाई 2025