मुंबई (ईएमएस)। हाल के माह में देश की टॉप आईटी कंपनियों जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इंफोसिस और विप्रो ने नौकरियों में कटौती या नई भर्तियों को धीमा कर दिया हैं। ये फैसले किसी आर्थिक संकट या घाटे की वजह से नहीं हैं, बल्कि कंपनियों की रणनीति में आ रहे एक बड़े बदलाव की ओर इशारा करते हैं। अब इन कंपनियों का फोकस पहले से कहीं ज्यादा “फ्यूचर-रेडी” बनने और अपनी वर्कफोर्स को फिर तैयार करने पर है।वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में टीसीएस की आय 1.3 प्रतिशत बढ़कर 63,437 करोड़ हो गई और मुनाफा 5.9 प्रतिशत बढ़ा। वहीं इंफोसिस ने भी 7.5 प्रतिशत की रेवेन्यू ग्रोथ दर्ज की, जबकि एचसीएल टेक ने सबसे तेज 8.1 प्रतिशत की बढ़त हासिल की। आंकड़ों से साफ है कि कंपनियों की कमाई ठीक चल रही है। फिर भी, कंपनियां या नई भर्तियों से बच रही हैं या कर्मचारियों की संख्या में कटौती कर रही हैं। टीसीएस ने 12,000 से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है। इंफोसिस ने फ्रेशर्स की भर्ती लगभग बंद कर दी और एचसीएल टेक ने भी नए लोगों की नियुक्ति धीमी कर दी है। इसका एक अहम कारण यह है कि अब कंपनियां पहले की तरह हर नए प्रोजेक्ट के लिए बड़ी टीम नहीं बना रहीं। इसके बजाय, वे यह देख रही हैं कि मौजूद कर्मचारियों से कैसे ज्यादा काम ले सकते है। इसकारण हर कर्मचारी से होने वाली कमाई बढ़ रही है। पहले जहां काम के बढ़ने के साथ नई नौकरियां बनती थीं, अब वैसा नहीं हो रहा। इस बदलाव का सबसे बड़ा कारण है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और ऑटोमेशन का आईटी सर्विसेज में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होना बताया जा रहा है। टीसीएस, इंफोसिस और एचसीएल जैसी कंपनियां तेजी से जेनएआई और अन्य ऑटोमेशन तकनीकों में पैसा लगा रही हैं। टीसीएस के सीईओ ने स्वीकार किया हैं कि कंपनी बड़े पैमाने पर एआई को अपने कामकाज में लागू कर रही है और इसका असर यह है कि पहले जो काम 10 लोग करते थे, अब वहीं काम कुछ ही कर्मचारी कर रहे हैं। एआई के चलते आईटी कंपनियों का वह ट्रेडिशनल पिरामिड मॉडल भी बदल चुका है, जिसमें सबसे ज्यादा भर्ती फ्रेशर्स की होती थी और ऊपर की तरफ जाते-जाते संख्या कम होती थी। अब कंपनियों को नीचे के स्तर पर इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत नहीं रही है, क्योंकि बेसिक लेवल के कई काम ऑटोमेशन से हो जा रहे हैं। इसके चलते कंपनियों ने अपनी ट्रेनिंग और स्क्रीनिंग प्रक्रिया को काफी कठिन बना दिया है। उदाहरण के तौर पर इंफोसिस ने उन ट्रेनीज को निकालना शुरू कर दिया है जो उनकी नई, कठिन परीक्षाएं पास नहीं कर पाए। टीसीएस की ओर से 600 से ज्यादा अनुभवी लोगों को नियुक्ति पत्र देने के बावजूद जॉइनिंग में देरी पर अब मामला सरकार तक पहुंच गया है। श्रम मंत्रालय ने कंपनी को 1 अगस्त को दिल्ली में मुख्य श्रम कमिश्नर के सामने पेश होने को कहा है। यह कार्रवाई एनआईटीईएस नामक संगठन की शिकायत के बाद की गई है, जिसमें टीसीएस पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया गया है। दरअसल अब आईटी कंपनियों का ध्यान बड़ी संख्या में लोगों को काम पर रखने के बजाय, कुछ खास स्किल्स वाले लोगों को रखने तक सीमित रह गया है। जैसे एआई, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में जिनके पास गहरी समझ है, उन्हें प्राथमिकता दी जा रही है। वहीं, कंपनियों के अंदर काम कर रहे मिड-लेवल कर्मचारियों को भी लगातार री-स्किलिंग यानी नए स्किल्स सीखने के लिए कहा जा रहा है। अब केवल एक बार सीखा हुआ काफी नहीं है, बल्कि लगातार बदलती तकनीक के साथ खुद को अपडेट रखना जरूरी हो गया है। आशीष/ईएमएस 30 जुलाई 2025