राष्ट्रीय
30-Jul-2025
...


राष्ट्र को सर्वापरि मनाने वाले गुट के रुप में उभरी एनडीए की छवि नई दिल्ली,(ईएमएस)। संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान बिहार का जिक्र होने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 24 अप्रैल के भाषण के चर्चा के केंद्र में रहने के पीछे कई अहम कारण हैं, जो मुख्यता आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से जुड़े हैं। दरअसल संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर हुई चर्चा के दौरान बिहार का नाम बार-बार इसलिए आया क्योंकि कि बिहार 2025 के विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा है। यह राज्य एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जहाँ 243 सीटों पर कड़ी टक्कर होने की संभावना है। प्रधानमंत्री मोदी ने 24 अप्रैल को मधुबनी में अपने संबोधन में बिहार की सांस्कृतिक पहचान सिंदूर (जो सुहाग और शौर्य का प्रतीक है) को पहलगाम हमले के जवाब में सेना की कार्रवाई से जोड़ा। यह भावनात्मक जुड़ाव बिहार के लोगों के दिलों को छू गया। सांसदों ने इसी संदर्भ को अपनी बातों में शामिल किया, जिससे बिहार बहस का अहम हिस्सा बन गया। 24 अप्रैल को मधुबनी में पीएम मोदी का भाषण (पहलगाम के दोषियों को मिट्टी में मिलाने और आतंकियों को कल्पना से भी बड़ी सजा मिलने की बात) संसद में चर्चा का केंद्र बन गया। भाजपा सांसदों ने पीएम मोदी के बयान को मजबूत भारत के संकल्प का उदाहरण बताया, जबकि विपक्ष ने बयान को चुनावी फायदे के लिए एक सियासी स्टंट करार दिया। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने दो बार बिहार का नाम लिया, जबकि कांग्रेस के गौरव गोगोई और तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने भी बिहार का जिक्र किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि बिहार इस बहस में एक केंद्रीय बिंदु था। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले पर कड़ा रुख दिखाकर कहा था कि पहलगाम के दोषियों को मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। आतंकियों को कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। यह बयान मोदी सरकार की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसे संसद में विभिन्न दलों के सांसदों ने अपनी-अपनी राय के साथ उठाया। पीएम मोदी ने सेना की कार्रवाई को विजय उत्सव बताया और इस बिहार के लोगों की भावनाओं से जोड़ा, जो भाजपा की राष्ट्रवादी और मजबूत सरकार की छवि को पुष्ट करता है। राजनैतिक जानकारों का मानना है कि पीएम का यह संबोधन एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था। इसका उद्देश्य बिहार में भाजपा की छवि को मजबूत करना और सेना की शक्ति को बिहार की भावनात्मक पहचान से जोड़कर मतदाताओं को लुभाना था। ऑपरेशन सिंदूर इसी संबोधन के बाद अंजाम दिया गया। क्या हैं मायने? यह स्पष्ट संकेत है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और भावनात्मक मुद्दे अहम भूमिका निभाएंगे। सभी राजनीतिक दल, विशेषकर भाजपा, बिहार में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए इन मुद्दों का इस्तेमाल करेगी। भाजपा बिहार में खुद को एक राष्ट्रवादी और मजबूत सरकार के रूप में पेश करना चाहती है, जो आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करती है। पीएम मोदी का भाषण इसी रणनीति का हिस्सा था। इतना ही नहीं सिंदूर जैसे प्रतीकों का उपयोग कर पीएम मोदी ने बिहार की सांस्कृतिक पहचान और भावनात्मक जुड़ाव को भुनाने की कोशिश की। यह ग्रामीण आबादी और युवा मतदाताओं को प्रभावित करने का एक तरीका है, जो चुनावी नतीजों पर असर डाल सकता है। विपक्ष ने पीएम मोदी के इस कदम को सियासी स्टंट करार देकर पलटवार किया है, जिससे यह बहस राजनीतिक रूप से और अधिक गर्मा गई है। यह दर्शाता है कि बिहार में सत्ता हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी। ये बात पूरी तरह से साफ हैं कि बीजेपी के तुरुप के इक्के के रुप में पीएम मोदी बिहार चुनाव में अपनी और अपनी एनडीए सरकार की छवि लोगों के सामने देश को सर्वोंपरि मनने वाली रखने वाले है। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से साफ हो गया हैं कि पीएम मोदी एक साहसिक और सेना पर पूरा भरोसा रखने वाले नेता है। ज्ञात हो कि सेना में बिहार से भी बड़ी संख्या में युवा हैं इसलिए इसका सीधा असर बिहार के चुनाव पर देखने को मिलेगा। आशीष दुबे / 30 जुलाई 2025