राष्ट्रीय
30-Jul-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। औषधीय गुणों से भरपूर चक्रमर्द या चकवड़ का पौधा त्वचा से लेकर पाचन तंत्र, इम्यूनिटी और ब्लड शुगर तक अनेक समस्याओं में फायदेमंद माना गया है। चक्रमर्द के बीजों को छाछ में आठ दिन तक भिगोकर, हल्दी और बावची के साथ पीसकर लेप तैयार किया जाता है। इस लेप का प्रयोग सफेद दाग, दाद, खाज और खुजली जैसी पुरानी और जिद्दी त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है। इसके पत्तों का पेस्ट त्वचा पर लगाने से मुंहासे, फोड़े और फुंसियों में राहत मिलती है, क्योंकि इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। चक्रमर्द का प्रभाव पाचन तंत्र पर भी सकारात्मक होता है। इसके बीज और पत्तियां पाचन एंजाइम्स को सक्रिय करती हैं, जिससे भोजन का अवशोषण बेहतर होता है और गैस, पेट दर्द या अपच जैसी दिक्कतें दूर हो जाती हैं। इसके अलावा यह लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। खासकर तेलयुक्त भोजन करने वालों के लिए यह औषधीय पौधा बेहद लाभकारी है। मधुमेह यानी डायबिटीज के मरीजों के लिए भी यह पौधा फायदेमंद है। इसका काढ़ा या चूर्ण नियमित रूप से लेने से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है और इंसुलिन की कार्यक्षमता में सुधार होता है। साथ ही, यह मूत्र प्रणाली को भी संतुलित करता है और संक्रमण से सुरक्षा देता है। बार-बार पेशाब आना या जलन की शिकायत में भी यह उपयोगी है। बदलते मौसम में जब सर्दी-जुकाम की परेशानी आम हो जाती है, तब चक्रमर्द का काढ़ा पीने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है। इसके एंटीऑक्सीडेंट शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं। इतना ही नहीं, यह त्वचा की रंगत निखारने में भी मदद करता है, जिससे इसे ‘देसी ग्लो’ का स्रोत भी कहा जाता है। चक्रमर्द वास्तव में प्रकृति का एक अनमोल तोहफा है, जो संपूर्ण स्वास्थ्य का सुरक्षा कवच बन सकता है। बता दें कि प्राकृतिक चिकित्सा में छुपा खजाना अक्सर हमारी नजरों से ओझल रह जाता है, लेकिन आयुर्वेद ने सदियों पहले इन जड़ी-बूटियों की ताकत को पहचान लिया था। सुदामा/ईएमएस 30 जुलाई 2025