राष्ट्रीय
30-Jul-2025
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- बैंकों की जवाबदेही पर उठ रहे सवाल मुंबई, (ईएमएस)। सायबर अपराध की जड़ें इस कदर मजबूत हो चुकी है कि जिसे जड़ से उखाड़ पाने में पुलिस भी नाकाम साबित हो रही है। आलम यह है कि दिनों दिन सायबर अपराध के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। न तो सरकारी एजेंसियां और न ही पुलिस सायबर अपराध को रोक पा रही है परिणामस्वरूप लोग अपनी जिंदगी भर की कमाई गंवाने को विवश हैं। इस बीच देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में ही सैकड़ों लोगों ने अबतक अरबों रुपया गंवाया है। दरअसल मुंबई पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि जनवरी 2024 से मार्च 2025 तक के 15 महीनों में साइबर अपराधों के कारण मुंबईकरों को 1,127 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसमें से 85 प्रतिशत नुकसान (करीब 964 करोड़ रुपये) साइबर धोखाधड़ी के कारण हुआ, जिसमें शेयर ट्रेडिंग धोखाधड़ी, डिजिटल अरेस्ट, क्रिप्टोकरेंसी घोटाले और भविष्य निधि घोटाले शामिल हैं। जबकि सेक्सटॉर्शन से 47 करोड़ रुपये और क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी से 34 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। साइबर अपराध विशेषज्ञों ने बैंकों से अधिक जवाबदेही और नियमों का पालन न करने पर जुर्माने की माँग की है। उन्होंने यह भी माँग की है कि सरकार साइबर अपराधों से होने वाले वित्तीय नुकसान के लिए बीमा योजनाएँ और पीड़ितों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएँ शुरू करे। - बैंकों की जवाबदेही पर उठ रहे सवाल आश्चर्य इस बात का है कि खाताधारकों को अपना ही रकम निकालने के समय बैंक द्वारा पूरी तरह से तसल्ली करने के बाद ही रकम दी जाती है तो दूसरी तरफ ग्राहकों के बैंक खातों से जब एक ही झटके में ऑन लाइन करोड़ों रूपये का ट्रांजेक्शन हो जाता है तब न तो इसकी जाँच पड़ताल बैंक करती है और न ही उन रकमों का सही-सही पता लगा पाती है। इतना ही नहीं सायबर अपराध से पीड़ित खाता धारकों को मदद के लिए बैंक आगे आती है। इससे बैंकों की जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं। संजय/संतोष झा- ३० जुलाई/२०२५/ईएमएस