नड्डा बोले- 2014 से पहले हर जगह बम ब्लास्ट होते थे, यूपीए सरकार आतंकियों को मिठाई खिलाती रही नई दिल्ली(ईएमएस)। संसद में मानसून सत्र के आठवें दिन राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर लगातार दूसरे दिन चर्चा हुई। भाजपा सांसद जेपी नड्डा ने कहा कि 2014 से पहले हर जगह बम ब्लास्ट होते थे, लेकिन यूपीए सरकार आतंकियों को मिठाई खिलाती रही। वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हम पाकिस्तान का सच दुनिया के सामने लाए। खून-पानी एक साथ नहीं चलेगा। गृह मंत्री अमित शाह संसद में समापन भाषण दे सकते हैं। ऑपरेशन सिंदूर पर राज्यसभा में बहस मंगलवार को जबकि लोकसभा में शुरू हुई थी। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, जेडीयू सांसद संजय कुमार झा सहित कई सांसदों ने भाग लिया। खडग़े ने कहा- लीडरशिप का मतलब है जिम्मेदारी लेना, न कि किसी को दोष देना। वे (मोदी) जवाब नहीं देंगे, वे अपने दोस्तों-मंत्रियों से कहेंगे कि जाओ जो कहना है कहो। 11 साल में कभी बहस में शामिल नहीं होते। एक व्यक्ति को इतना बढ़ावा मत दो, भगवान मत बनाओ। लोकतांत्रिक रूप से आया है, उसे इज्जत दो, पूजा मत करो। नड्डा बोले- पहलगाम पर हमले की पूरी क्रोनोलॉजी समझनी चाहिए जेपी नड्डा ने कहा कि 2004-2014 का समय देखिए, उस वक्त की सरकार ने कई आतंकी घटनाओं पर कोई एक्शन नहीं लिया। यूपीए के गृहमंत्री कहते थे कश्मीर जाने में डर लगता था। 2005 में श्रमजीवी ब्लास्ट हुआ, कोई एक्शन नहीं हुआ। उस समय की सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। पहलगाम पर सवाल उठाने वाले पहले अपने गिरेबां में झांक कर देखें। जेपी नड्डा ने कहा कि यूपीए के गृहमंत्री कहते थे कश्मीर जाने में डर लगता था। आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकती। हमले होते रहे हम बिरयानी खिलाते रहे। वो आतंकी हमले करते हम डोजियर भेजते रहे। यूपीए सरकार के दौरान जगह-जगह बम धमाके होते थे। पहलगाम पर हमले की पूरी क्रोनोलॉजी समझनी चाहिए। विपक्ष पर अटैक करते हुए कहा कि हाफिज सईद को जी कहकर बुलाते थे। जयशंकर ने फिर दोहराया- खून और पानी साथ नहीं बहेंगे सिंधु जल संधि पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह बंद नहीं कर देता। खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, सिंधु जल संधि कई मायनों में एक अनूठा समझौता है। मैं दुनिया में ऐसे किसी भी समझौते के बारे में नहीं सोच सकता जहां किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों को उस नदी पर अधिकार के बिना दूसरे देश में बहने दिया हो। इसलिए यह एक असाधारण समझौता था और, जब हमने इसे स्थगित कर दिया है, तो इस घटना के इतिहास को याद करना महत्वपूर्ण है। कल मैंने लोगों को सुना, कुछ लोग इतिहास से असहज हैं। वे चाहते हैं कि ऐतिहासिक चीजों को भुला दिया जाए। शायद यह उन्हें शोभा नहीं देता, वे केवल कुछ चीजों को याद रखना पसंद करते हैं। विनोद उपाध्याय / 30 जुलाई, 2025