लंदन (ईएमएस)। इतिहास का सबसे विनाशकारी भूकंप 22 मई 1960 में दक्षिण अमेरिकी देश चिली में आया था। यह भूकंप लगभग 10 मिनट तक चला और इसके कारण उत्पन्न सुनामी ने प्रशांत महासागर के कई देशों में तबाही मचा दी थी। इसकी तीव्रता 9.4 से 9.6 के बीच मापी गई थी, जो अब तक दर्ज किया गया दुनिया का सबसे शक्तिशाली भूकंप है। संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के रिकॉर्ड के अनुसार यह भूकंप उस समय आया जब पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे से टकराईं, जिससे समुद्र में अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न हुई और पानी की ऊंची लहरें चारों ओर फैल गईं। इससे जापान, हवाई, फिलीपींस, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देश प्रभावित हुए थे। इस आपदा में 1,000 से 6,000 लोगों की जान गई और करीब 20 लाख लोग बेघर हो गए। भूकंप का केंद्र चिली का वाल्डिविया शहर था, जो इस आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। शहर की आधे से अधिक इमारतें नष्ट हो गईं। प्यूर्टो मोंट जैसे इलाकों में जमीन धंस गई और तटवर्ती क्षेत्रों में 80 फीट तक ऊंची सुनामी की लहरें उठीं, जिससे पूरा प्यूर्टो सावेद्रा शहर बह गया। इस भूकंप से चिली के भूभाग में भी भौगोलिक बदलाव हुए कई जगह जमीन 1.5 मीटर तक धंस गई और कुछ स्थानों पर 3 मीटर तक ऊंची हो गई। इस विनाश ने चिली की अर्थव्यवस्था को भी झटका दिया, जिसकी अनुमानित क्षति 550 मिलियन डॉलर थी, जो 2020 के हिसाब से लगभग 4.8 बिलियन डॉलर से अधिक है। इस विनाशकारी घटना के कुछ घंटों बाद पुयेहुआ ज्वालामुखी में भी विस्फोट हुआ, जिससे राख और धुआं हजारों मीटर की ऊंचाई तक फैल गया। इन विस्फोटों ने आपदा की गंभीरता को और बढ़ा दिया और कई हफ्तों तक इलाके में धूल और राख छाई रही। वहीं, प्रशांत महासागर पार कर सुनामी की लहरें हवाई तक पहुंचीं, जहां उन्होंने 35 फीट ऊंची लहरों से 61 लोगों की जान ली और 75 मिलियन डॉलर का नुकसान किया। जापान में भी लहरें 18 फीट तक ऊंची थीं और करीब 138 लोगों की मौत का कारण बनीं। विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भूकंप की तीव्रता उसकी फॉल्ट लाइन की लंबाई से जुड़ी होती है। चिली भूकंप की फॉल्ट लाइन करीब 1000 मील लंबी थी, जिससे यह इतनी भीषण आपदा में तब्दील हो गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती पर 10 तीव्रता का भूकंप आना लगभग असंभव है क्योंकि इसके लिए जितनी लंबी फॉल्ट लाइन की आवश्यकता होगी, वह पृथ्वी की भूगर्भीय संरचना में मौजूद नहीं है। सुदामा/ईएमएस 02 अगस्त 2025