वॉशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिका और रूस के बीच तनाव बढ़ गया है। हालात जंग जैसे बताए जा रहे हैं वहीं यह भी माना जा रहा है कि दोनों देश अपनी तैयारियों में लगे हैं। हर तरह के हालातों से निपटने के लिए सेनाओं को अलर्ट किया गया है। दोनों देशों के बीच तनाव के पीछे कारण बताया जा रहा है कि रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव का वह बयान पसंद नहीं आया जिसमें उन्होंने परमाणु हथियारों का जिक्र किया था जो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कतई पसंद नहीं आया। ट्रंप ने इसे धमकी के तौर पर लिया और अपनी दो पनडुब्बियों को रूस के नजदीक तैनात करने का आदेश जारी कर दिया। दोनों देशों के बीच अब संबंध काफी बिगड़ चुके हैं। ट्रंप ने अमेरिका को हर स्थिति के लिए पूरी तरह तैयार रहने के लिए कहा है। वाइट हाउस और पेंटागन ने अभी तक ट्रंप की पनडुब्बी तैनाती पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। यह जानकारी सैन्य गोपनीयता के तहत आती है और परमाणु पनडुब्बियों की सटीक स्थिति और मिशन क्षेत्र को सार्वजनिक नहीं किया जाता। वहीं रूस ने कभी इस सिस्टम के अस्तित्व की औपचारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन पश्चिमी रणनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रणाली आखिरी हथियार के रूप में तब सक्रिय हो सकती है जब रूस का नेतृत्व किसी हमले में नष्ट हो जाए। ट्रंप ने वाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, हमें ऐसा करना पड़ा। हमें सतर्क रहना होगा। एक धमकी दी गई थी, जो हमें उपयुक्त नहीं लगी। इसलिए हमने यह कदम सिर्फ अपने लोगों की सुरक्षा के लिए उठाया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, आपको बस ये देखना चाहिए कि मेदवेदेव ने क्या कहा। वो परमाणु की बात कर रहे थे। और जब आप परमाणु की बात करते हैं तो हमें तैयार रहना पड़ता है। हम पूरी तरह तैयार हैं। इससे पहले शुक्रवार को ट्रंप ने घोषणा की थी कि उन्होंने दो परमाणु पनडुब्बियों को उपयुक्त क्षेत्रों में भेजने का आदेश दिया है। यह आदेश मेदवेदेव के सोशल मीडिया पर दिए बयानों के जवाब में आया था। इस टकराव ने और तूल पकड़ लिया जब ट्रंप ने मेदवेदेव को फेल नेता बताया और उन्हें संयम से बोलने की चेतावनी दी। इसके जवाब में मेदवेदेव ने एक तीखा बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने ट्रंप के भारत और रूस की मरी हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले बयान पर तंज कसते हुए सोवियत युग के परमाणु जवाबी हमले की प्रणाली का जिक्र किया। वीरेंद्र/ईएमएस/02अगस्त2025