कल्याण, (ईएमएस)। सफर करते वक्त एक युवक को क्या पता था कि अगले ही पल उसकी जिंदगी बदल जाएगी और वापसी का यह सफ़र उसकी पूरी ज़िंदगी बर्बाद कर देगा। जी हाँ, नाशिक का रहने वाला 26 साल का गौरव निकम ठाणे में एक ज़रूरी काम निपटाकर तपोवन एक्सप्रेस से ठाणे से नासिक जा रहा था। उस समय, वह ट्रेन के दरवाज़े पर खड़ा होकर किसी से बात कर रहा था। ट्रेन जैसे ही आंबिवली स्टेशन पहुँची, अचानक एक चोर ने बाहर से उस पर ज़ोरदार हमला कर दिया। इस अप्रत्याशित हमले से गौरव का संतुलन बिगड़ गया और वह चलती ट्रेन से सीधा नीचे गिर पड़ा। ट्रेन की चपेट में आने से उसका एक पैर कट गया। लेकिन हद तो तब हो गई जब चोर उसके पास पहुँचा और ज़मीन पर दर्द से तड़प रहे गौरव के पास से उक्त चोर ने उसका मोबाइल और नकदी लूट लिया। चोट, दर्द, विकलांगता और डकैती, ये सब पल भर में गौरव की किस्मत में लिख गए थे। हालांकि पुलिस ने इस मामले में एक नाबालिग ईरानी युवक को हिरासत में लिया है। चूँकि कानून की नज़र में वह नाबालिग है, इसलिए उसे मिलने वाली सज़ा सीमित होगी। लेकिन गौरव को जो सज़ा, दोनों पैर खोने और ज़िंदगी भर रहने वाला दर्द मिला है उसका क्या? यह सवाल उठ रहा है। क्या अपराधियों को सिर्फ़ नाबालिग होने की वजह से माफ़ कर देना चाहिए? क्या किसी इंसान की पूरी ज़िंदगी तबाह करने वाली घटना की इतनी क़ीमत होनी चाहिए? यह घटना सिर्फ़ एक इंसान पर हमला नहीं है, यह हमारी सामाजिक व्यवस्था और क़ानून व्यवस्था पर भी एक बड़ा सवालिया निशान है। आंबिवली इलाके में ऐसी घटनाएँ पहले भी हो चुकी हैं। अब समय आ गया है कि ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लिया जाए। सख़्त क़ानून और तेज़ न्याय की सख़्त ज़रूरत है। ताकि अगला गौरव निकम ट्रेन में सफ़र करते हुए शरीर के साथ-साथ अपनी जान न गँवाए। संतोष झा- ०४ अगस्त/२०२५/ईएमएस