वॉशिंगटन (ईएमएस)। फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन आज की पीढ़ी को धीमे ज़हर की तरह नुकसान पहुंचा रहा है। पहले जहां फैटी लिवर की समस्या मोटे और उम्रदराज लोगों में पाई जाती थी, वहीं अब यह रोग छोटे बच्चों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बच्चों की यह सेहत संबंधी समस्या तेजी से बढ़ रही है और इसका सबसे बड़ा कारण जंक फूड और शारीरिक गतिविधियों की कमी है। जानकारों का कहना है कि बच्चों में गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के मामले बढ़ते जा रहे हैं। लगातार बर्गर, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक, पैक्ड स्नैक्स जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन और घंटों मोबाइल या टीवी के सामने बैठना इस समस्या को बढ़ा रहा है। इन फूड आइटम्स में मौजूद एडेड शुगर और अनहेल्दी फैट लिवर में जमा होकर उसका सामान्य कार्य प्रभावित करते हैं। जब लिवर में 5 प्रतिशत से अधिक फैट जमा हो जाता है, तो फैटी लिवर की स्थिति बनती है। इससे न केवल लिवर पर असर पड़ता है, बल्कि बच्चों में डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का भी खतरा कई गुना बढ़ जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस खतरे से बचने के लिए बच्चों की दिनचर्या और भोजन में सुधार ज़रूरी है। उन्हें हरी सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त भोजन दिया जाना चाहिए। फास्ट फूड, तली-भुनी चीजें और मीठे पेय पदार्थों से दूरी बनाना जरूरी है। इसके साथ ही बच्चों को हर दिन कम से कम एक घंटा फिजिकल एक्टिविटी के लिए प्रेरित करना चाहिए, जैसे दौड़ना, खेलना या साइकिल चलाना। उन्हें स्क्रीन टाइम कम देना चाहिए ताकि उनकी जीवनशैली अधिक सक्रिय हो सके। बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच कराना और समय-समय पर लिवर की स्थिति का पता लगाना भी जरूरी है। सुदामा/ईएमएस 06 अगस्त 2025