व्यापार
06-Aug-2025


नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत में बीमा क्षेत्र में आधार कार्ड का दुरुपयोग कर होने वाली धोखाधड़ी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। शातिर धोखेबाज अब आधार से जुड़ी प्रक्रियाओं में हेरफेर करके फर्जी पहचान बनाते हैं और झूठे क्लेम से मोटी रकम निकाल रहे हैं। इसके लिए अपराधी जाली या बदले हुए आधार कार्ड का इस्तेमाल करके नकली पहचान बना लेते हैं। इस नकली पहचान का उपयोग करके वे जीवन, स्वास्थ्य और वाहन बीमा जैसी पॉलिसियां खरीदते हैं। आधार से जुड़े फोन नंबर और ईमेल आईडी अक्सर असली पॉलिसीधारक की जानकारी से मेल नहीं खाते हैं। कुछ गिरोह उन कमजोर लोगों को ढूंढते हैं, जो गरीबी या बीमारी से जूझ रहे हैं। वे उन्हें पैसे का लालच देकर उनकी आधार डिटेल्स लेते हैं। बीमा कंपनियों द्वारा ब्लैकलिस्ट किए गए पिन कोड से बचने के लिए धोखेबाज अपने पते बदल देते हैं। वे कम निगरानी वाले छोटे बैंकों में इन लोगों के नाम पर खाते खुलवाते हैं। फिर वे इन पॉलिसियों पर फर्जी क्लेम फाइल करते हैं, जो अक्सर 20 लाख या उससे ज़्यादा के होते हैं। यह धोखाधड़ी आमतौर पर तब तक सामने नहीं आती, जब तक कि कोई क्लेम फाइल न हो जाए या पैसा निकाल न लिया जाए। बीमा कंपनियां और पुलिस अब इन मामलों की गहराई से जांच कर रही हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले में कई बीमा कंपनियों को नोटिस भेजा है और उनकी क्लेम टीमों और इसमें शामिल अधिकारियों की जानकारी मांगी है। बीमा कंपनियां धोखाधड़ी को नियंत्रित करने के लिए इंश्योरेंस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (आईआईबी) के साथ ज़्यादा से ज़्यादा डेटा साझा कर रही हैं। यह जानकारी उन्हें संदिग्ध गतिविधियों और फर्जी क्लेम का पता लगाने में मदद करती है। आशीष दुबे / 06 अगस्त 2025