नई दिल्ली (ईएमएस)। बरसात के मौसम में बीमारियों से बचने हम अपने खानपान में ऐसे तत्व शामिल करें जो न केवल शरीर को ऊर्जा दें, बल्कि इम्यून सिस्टम को भी मज़बूत करें। इन उपायों में एक बेहद उपयोगी लेकिन कम प्रसिद्ध पहाड़ी सब्जी है लिंगुड़ा, जिसे कुछ क्षेत्रों में लिंगड़, लुंगड़ू या कसरोड के नाम से भी जाना जाता है। यह मौसमी सब्जी खासकर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में पाई जाती है और बरसात के मौसम में ही उगती है। स्वाद में यह बेहद खास होती है और स्थानीय लोग इसे सब्जी, अचार या साग के रूप में सेवन करते हैं। अमेरिकी पोर्टल वेबएमडी और अन्य पोषण पोर्टलों के अनुसार, लिंगुड़ा का वानस्पतिक नाम मैटेरिया स्ट्रुथिओप्टेरिस है और यह पोषक तत्वों का भंडार मानी जाती है। इसमें लगभग 6 ग्राम प्रोटीन, 3 ग्राम फाइबर, 2 मिलीग्राम आयरन, 31 मिलीग्राम विटामिन सी, 8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और केवल 1 ग्राम फैट होता है। इसके अलावा इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, विटामिन ए और बी-कॉम्प्लेक्स जैसे आवश्यक तत्व भी भरपूर होते हैं। लिंगुड़ा के नियमित सेवन से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। सबसे पहले, इसमें मौजूद फाइबर खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाने में मदद करता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है। इसके साथ ही, यह ब्लड वेसल्स को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक है। पोटैशियम से भरपूर होने के कारण यह सब्जी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में भी मदद करती है और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के कारण यह डायबिटीज के रोगियों के लिए भी उपयोगी है। यह सब्जी पाचन तंत्र को मजबूत करने में भी कारगर है। इसमें मौजूद फाइबर कब्ज, गैस और अपच जैसी समस्याओं से राहत देता है, वहीं विटामिन सी प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूती देता है, जिससे शरीर संक्रमण से बेहतर तरीके से लड़ पाता है। वजन घटाने की चाहत रखने वालों के लिए भी यह सब्जी एक बेहतरीन विकल्प है, क्योंकि इसमें कैलोरी कम, फैट कम और फाइबर अधिक होता है, जो मेटाबॉलिज्म को तेज करता है और भूख को नियंत्रित करता है। लिंगुड़ा आयरन का अच्छा स्रोत होने के कारण खून की कमी यानी एनीमिया से भी बचाता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद विटामिन ए और कैरोटीन आंखों की रोशनी को बनाए रखने में सहायक होते हैं। मालूम हो कि बरसात का मौसम जहां हरियाली और ठंडक लेकर आता है, वहीं यह मौसम बीमारियों का घर भी बन जाता है। इस समय नमी, गंदगी और बदलता तापमान शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है, जिससे सर्दी-खांसी, पेट संक्रमण, वायरल फीवर जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। सुदामा/ईएमएस 07 अगस्त 2025