09-Aug-2025
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बीजिंग (ईएमएस)। वंशलोचन एक प्राकृतिक औषधीय पदार्थ है जो बांस के तने के अंदर से प्राप्त होता है। इसे ‘बैंबू मैनना’ या ‘बैंबू सिलाइसेस’ के नाम से भी जाना जाता है। यह सफेद रंग का होता है और पाउडर या छोटे टुकड़ों के रूप में मिलता है। इसका वैज्ञानिक नाम बैम्बुसा अरुंडिनेशिया है, और यह चीन, भारत, फिलीपींस जैसे एशियाई देशों में पाया जाता है। प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों जैसे चरक संहिता और भैषज्य रत्नावली में वंशलोचन को कई औषधीय योगों में शामिल किया गया है, जैसे – सितोपलादि चूर्ण, तालिसादि चूर्ण आदि। आयुर्वेद के अनुसार वंशलोचन वात और कफ को शांत करता है, पित्त को बढ़ाता है और शरीर की शक्ति बढ़ाने वाला होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में सिलिका पाई जाती है, जो हड्डियों को मजबूत करने, जोड़ों के दर्द को कम करने और बालों को घना बनाने में सहायक होती है। इसका उपयोग खांसी, जुकाम, बुखार, अपच, दांतों और हड्डियों की कमजोरी, यहां तक कि त्वचा रोगों के उपचार में भी किया जाता है। वंशलोचन की तासीर ठंडी मानी जाती है। जिन लोगों को हाथ-पैर में जलन या अत्यधिक पसीना आता है, उनके लिए यह बहुत फायदेमंद माना गया है। यह शरीर में तीनों दोषों – वात, पित्त और कफ के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। मुंह के छालों की स्थिति में वंशलोचन को शहद के साथ मिलाकर प्रयोग करना लाभकारी हो सकता है। जहां वंशलोचन पेट की गर्मी को शांत करता है, वहीं शहद के एंटीबैक्टीरियल गुण मुंह के घावों को जल्दी भरने में मदद करते हैं। हालांकि वंशलोचन एक प्राकृतिक और पारंपरिक औषधि है, लेकिन किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है। सुदामा/ईएमएस 09 अगस्त 2025